दीया बनाने के कार्य में भले ही कुम्हार दिन-रात लगे हुए हैं, लेकिन उनके चाक की रफ्तार इस वर्ष कुछ धीमी है। इसके पीछे बड़ी वजह महंगाई है। कुम्हारी मोहल्ला में मिट्टी के दीपक तैयार कर रहे कवल ने बताया कि इस काम में काफी समय से जुड़ा हुआ हूं। दीपक बनाने में सबसे बड़ी परेशानी मिट्टी मिलने की है। एक ट्राली मिट्टी के लिए साढ़े चार रुपए देना पड़ रहा है। इस बार दस हजार दीया बनाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि दस रुपए के पांच या फिर छह दीए बेचेंगे।
कम बिकते हैं दीपक
कवल पिंडरे ने बताया कि दीपावली से पहले दीपक और करवा के साथ साल भर मटके आदि बनाते हैं। दीप पर्व के मौके पर पहले की तुलना में अब दीपक की बिक्री कम होती है। इसका कारण बिजली की झालर भी है। कुछ लोग तो सिर्फ पूजा के लिए ही दीयों की खरीदारी करते हैं। पिछले साल कोरोना से व्यापार प्रभावित हुआ था। इस साल काफी उम्मीद है। उन्होंने बताया कि मिट्टी मोरडोंगरी, जमकुंडा, दमुआ, परासिया से लाई जाती है।