जिला अस्पताल पहुंची टीम अलग-अलग हिस्सों में बट गई तथा मेडिसिन विभाग, एक्स-रे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन, डायलिसिस यूनिट, गायनिक विभाग, तम्बाकू व्यासन मुक्ति केंद्र, क्षय आरोग्य धाम सहित अन्य विभागों का निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शरद बंसोड़, सिविल सर्जन डॉ. पी. कौर गोगिया, आरएमओ डॉ. सुशील दुबे सहित अन्य डॉक्टर मौजूद थे।
निरीक्षण के दौरान सामने आए बिंदुओं की झलकें – डायलिसिस यूनिट –
सीआरएम टीम ने जिला अस्पताल की डायलिसिस यूनिट कक्ष की छत में लगे फंगस की मोबाइल से फोटो ली तथा संचालित मशीन और रख-रखाव के बारे में पूछताछ की। साथ ही मरीजों के रिकार्ड, वर्र्किंग स्टाफ, दवाइयों की उपलब्धता आदि की जानकारी मांगी।
पैथालॉजी व ब्लड बैंक – ब्लड तथा यूरिन टेस्ट के उपयोग में लाए जाने वाले लीजेंट या कैमिकल की उपलब्धता, जांच के उपरांत मरीजों को रिपोर्ट देने में लगने वाला समय, ब्लड बैंक में रक्त की उपलब्धता, व्यवस्था आदि की जानकारी तथा प्रतिलिपि मांगी गई। वहीं विभिन्न कार्यक्रमों का डाटा एनालिस उपलब्ध नहीं कराने पर आवश्यक निर्देश दिए तथा बताया कि उक्त व्यवस्था से काफी मदद मिलती है।
गायनिक विभाग –
गर्भवती महिलाओं की देखभाल के लिए किस तरह का मार्गदर्शन दिया जाता है तथा आयरन-कैलशियम की दवाओं की उपलब्धता खंगाली गई। महिलाओं को दी जाने वाली सुविधाएं तथा व्यवस्थाओं के बारे में भी जाना।
तम्बाकू व्यासन मुक्ति विभाग –
लोगों को नशा नहीं करने के लिए किस तरह के कार्यक्रम चलाए जाते है तथा कोई प्रतिबंधित क्षेत्र में नशा करता है तो उसे किस तरह दंडित किया जाता है, पूछा गया तथा रिकार्ड की प्रतिलिपियां ली गई।
चिकित्सा महकमा –
सीआरएम टीम के निरीक्षण को लेकर जिला अस्पताल का चिकित्सा अधिकारी-कर्मचारियों का अमला सक्रिय दिखा तथा बड़े से लेकर छोटे स्तर के समस्त कर्मचारी एफ्रेन अथवा यूनिफार्म में नजर आए। इतना ही नहीं परिसर को साफ-सुथरा रखने लगातार प्रयास किए गए।
टीम में यह सदस्य रहे मौजूद – सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. पीके व्यास, डायरेक्टर हेल्थ एंड सर्विसेस डॉ. मोहन सिंह, डॉ. के सिंग, डॉ. सुरेश राठी, ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. शशि ठाकुर, प्रोग्राम मैनेजर पीएचएफआई डॉ. सौरभ राय, पीएचए कंसल्टेंट डॉ. कल्पना, डॉ. शिवानी, डॉ. राजन तथा ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. एमके सहलाम आदि मौजूद थे।
डॉ. मनीष गठोरिया नहीं भर सके फार्म
सीआरएम टीम के सदस्य ने मेडिसिन विभाग का निरीक्षण किया तथा स्वयं का बीपी-शुगर परीक्षण कराकर प्रक्रिया को जाना। वहीं एमडी मेडिसिन डॉ. मनीष गठोरिया को एक फार्म भरने के लिए दो मिनट का वक्त दिया, जिसे डॉक्टर नहीं भर सके। वहीं टीम सदस्य ने उक्त फार्म को 50 सेकंड में भरने की बात कही तथा सीनियर डॉक्टर होने पर उक्त स्थिति पर सवाल उठाएं।