शासकीय बताकर निजी प्रिटिंग प्रेस से कराई प्रचार-प्रसार सामग्री की छपाई शासकीय दर की अपेक्षा अधिकृत एजेंसी की दर अधिक होने की बात कही जा रही है। अब मामला सामने आते ही मीडिया अधिकारी डॉ. प्रमोद वासनिक के सुर भी बदल गए है। उनका कहना है कि प्रचार-प्रसार का दायित्व उनका है, लेकिन विवाद के चलते उन्होंने बीच में ही उक्त कार्य को छोड़ दिया है तथा निजी फर्म को कोटेशन के आधार पर एक लाख चालीस हजार पॉम्पलेट छापने के कार्य आदेश जारी किए हैं।
डॉ. वासनिक का दावा है कि एक लाख तक के किसी भी कार्य के लिए वह कोटेशन के आधार पर कार्य आदेश जारी कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि प्रचार-प्रसार को लेकर उपजे विवाद और कमीशनबाजी को लेकर पत्रिका ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया था।