उल्लेखनीय है कि सर्जिकल विभाग के समक्ष पूर्व में बर्न विभाग संचालित होता था, जिसमें एसी, कूलर समेत संक्रमण से बचने की सुविधाएं मौजूद थी। इस विभाग के टूटने के बाद अस्थायी रूप से गायनिक विभाग के शिफ्ट किया गया, जिसे भी पुराने मेल मेडिकल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। जहां एसी है न कूलर, गर्मी से निजात पाने के लिए सिलिंग फैन उपलब्ध है।
संक्रमण से बिगड़ सकती है मरीज की स्थिति – बर्न वार्ड में भर्ती मरीजों को संक्रमण का प्रभाव न हो इसके लिए वार्ड को पूरी तरह से आइसोलेड किया जाता है। साथ ठंडक बनाए रखने के लिए एसी अथवा कूलर लगाए जाते है। बताया जाता है कि झुलसे मरीज के घाव पर मक्खी या अन्य जीवाणु बैठते है तो वह धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाते है। कई बार मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है तथा मौत भी हो सकती है। हालांकि म‘छरदानी लगाकर सुरक्षा तो जाती है, लेकिन गर्मी की वजह से झुलसे मरीजों की दिक्कतें बढ़ जाती है।