बताया जाता है कि डिजिटल रेडियोग्राफी (एक्स-रे) परीक्षण में मशीन को शीघ्र ही रिपोर्ट मिल जाती है, जिसकी वजह से अन्य मशीनों की तुलना में कार्य दोगुना हो जाता है। साथ ही समय की बचत, अनावश्यक प्रोसेस में कमी और जांच फिल्म के लिए उपयोग में लाने वाली कैसेट्स का भी उपयोग नहीं करना पडेग़ा।
रेडिएशन का खतरा होगा कम –
आधुनिक तकनीकी से युक्त डीआर मशीन से रेडिएशन का खतरा कम रहेगा, जिसके कारण मरीज तथा कर्मचारियों की जान को खतरा भी नहीं रहेगा। इतना ही नहीं डिजिटल रेडियोग्राफी से इमेज क्वालिटी भी काफी एडवांस मिलेगी।
आधुनिक तकनीकी से युक्त डीआर मशीन से रेडिएशन का खतरा कम रहेगा, जिसके कारण मरीज तथा कर्मचारियों की जान को खतरा भी नहीं रहेगा। इतना ही नहीं डिजिटल रेडियोग्राफी से इमेज क्वालिटी भी काफी एडवांस मिलेगी।
एमआरआइ के लिए भेजा गया प्रस्ताव – सिम्स के माध्यम से जिला अस्पताल एमआरआइ परीक्षण सेवा भी शीघ्र शुरू होगा। कॉलेज प्रशासन ने इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है, जिसकी स्वीकृति मिलते ही लोगों को एमआरआइ परीक्षण के लिए नागपुर, जबलपुर या अन्य महानगरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। मिली जानकारी के अनुसार नवीन बिल्डिंग एमआरआइ मशीन को स्थापित करने के लिए कक्ष का इएमआर भी कर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि एमआरआइ जांच जिले में उपलब्ध नहीं होने से लोगों को हजारों रुपए खर्च कर महानगरों के चक्कर लगाने पड़ते है।
आधुनिक मशीनों का मिलेगा लाभ –
सिम्स के माध्यम से जिला अस्पताल में डिजिटल रेडियोग्राफी मशीन स्थापित होने वाली है। शासन से इसकी स्वीकृति भी मिल चुकी है। वहीं एमआरआइ मशीन के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। मामले फिलहाल प्रक्रिया में है।
सिम्स के माध्यम से जिला अस्पताल में डिजिटल रेडियोग्राफी मशीन स्थापित होने वाली है। शासन से इसकी स्वीकृति भी मिल चुकी है। वहीं एमआरआइ मशीन के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। मामले फिलहाल प्रक्रिया में है।
– डॉ. जीबी, रामटेके, डीन (छिंदवाड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस)