वहीं दोपहर 3 बजे रिपोर्ट लेने पहुंचे परिजन या अटेंडरों को ब्लड जांच नहीं होना पता चला तो वे आक्रोशित हो गए तथा मौजूदा स्टाफ से झगडऩे लगे। लोगों का कहना था कि जब सेम्पल सुबह लिए गए तो जांच करने में देरी क्यों लगाई जा रही है, समय पर रिपोर्ट न मिलने से मरीजों को डॉक्टर आवश्यक उपचार नहीं लिख पा रहे है।
पहले भी सेम्पल कर चुके है खराब – पैथालॉजी लैब में लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी ब्लड सेम्पल खराब करने या एंट्री नहीं करने की वजह से सेम्पल गायब होने के कई मामले सामने आ चुके है। बताया जाता है कि गर्भवती महिलाओं की डिलेवरी से पहले कई तरह की जांच करना अनिवार्य है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पैथालॉजी में सिम्स के 18 लैब अटेंडर तथा 6 असिसटेंट पदस्थ है, जिनमें से अधिकांश मूल कार्य छोडकऱ अन्य में व्यस्त है।
गर्भवतियों की यह होती हैं ब्लड जांचें – एएनसी, एचबी, जीआर, आरएचबीएल, शुगर, वीडीआरएल, यूरिन तथा एचआइवी आदि शामिल है। पर्याप्त अमले की कमी –
मेडिकल कॉलेज से सम्बद्धता होने से विभाग में वर्कलोड बढ़ गया है, इसलिए डीन, सिविल सर्जन सहित अन्य अधिकारियों से पर्याप्त अमला उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा गया है। हालांकि ब्लड जांच के सभी सेम्पलों की जांच कराई जाएगी।
– डॉ. ममता आनदेव, पैथालॉजिस्ट जांच कराई जाएगी – पैथालॉजी में ब्लड सेम्पलों की जांच नहीं होने के मामले की जांच कराई जाएगी तथा लापरवाही सामने आने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. जीबी रामटेके, डीन सिम्स