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health: हर दिन निजी एम्बुलेंस की राह तकती हैं ‘पथराई आंखें’, जानें स्थिति

locationछिंदवाड़ाPublished: Oct 17, 2019 12:27:49 pm

Submitted by:

Dinesh Sahu

चार मरीजों की आंख की रोशनी जाने के बाद अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की छवि पर असर: निजी एजेंसियों के सहारे हो गए बुजुर्ग
 

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If 32 per cent of the people of the city were duped, then 40 per cent of the villages were short, they should immediately take this step to save their family, it should not be late.

छिंदवाड़ा/ जिला अस्पताल में चार मरीजों की आंखों की रोशनी चले जाने की घटना के बाद राज्य शासन ने अगले आदेश तक नेत्र ऑपरेशन पर रोक लगा दी है। इससे अस्पताल के साथ ही मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ा है तो वहीं मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए दूरदराज के आने वाले बुजुर्गों को भी परेशानी हो रही है। हालात ये हंै कि अस्पताल की दहलीज पर हर दिन उनकी पथराई आंखें निजी एजेंसियों की एम्बुलेंस के आने की राह तकती हैं।

बुधवार को अस्पताल के नेत्र विभाग के सामने मरीजों की भीड़ जमा थी। कुछ तो अपनी आंखों की जांच के लिए आए थे तो ज्यादातर बुजुर्ग परासिया से आने वाली लॉयंस नेत्र चिकित्सालय की एम्बुलेंस के इंतजार में थे। बातचीत में उपस्थित चिकित्सकों ने भी यह बात स्वीकार की और अस्पताल में नेत्र ऑपरेशन थियेटर सील होने के बाद अपनी मजबूरी भी गिनवा दी।

बुजुर्गों की ओर मुड़े तो सुखमनी नाम की बुजुर्ग महिला ने बताया कि पहले अस्पताल में आंख का ऑपरेशन होना था, लेकिन अब उनसे परासिया में ऑपरेशन होने की बात कही जा रही है। उनके साथ दस बुजुर्ग वहां की एम्बुलेंस की राह देख रहे हैं। इधर कर्मचारियों ने भी दबी जुबान से स्वीकार किया कि आंख ऑपरेशन की घटना के बाद नकारात्मक असर पड़ा है।
लोग अब या तो परासिया नेत्र चिकित्सालय की राह देखते हैं या फिर भी निजी अस्पताल में जा रहे हैं। जबकि अस्पताल में फेको मशीन समेत करोड़ों रुपए के संसाधन मौजूद हैं। इससे समूचे तंत्र पर सवाल उठते हैं। एक डॉक्टर की जरा सी गलती का खमियाजा सीएम के शहर के पूरे अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की छवि को भुगतना पड़ रहा है।
सीएम से लिखाकर लाओगे, तब मिलेगी भोपाल से छुट्टी


आंखों की रोशनी चले जाने के मामले में दो पीडि़त कलावती और दफेलाल का इलाज गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में चल रहा है। इनमें से दफेलाल के परिजन ने इलाज सहीं न होने की शिकायत सीएम हाउस भोपाल में पहुंचकर मुख्यमंत्री से कर दी थी। इस पर सीएम से डॉक्टरों को इन मरीजों के लगातार इलाज के लिए वहीं रखा गया है। इन मरीजों के परिजन छुट्टी भी मांग रहे हैं तो डॉक्टर कह रहे हैं कि सीएम से लिखाकर लाओगे तभी छुट्टी मिलेगी। गौरतलब है कि चार में से दो मरीजों की आंखों की रोशनी इलाज से वापस आ चुकी है।
लॉयंस चिकित्सालय में हर दिन हो रहे ऑपरेशन


परासिया के लॉयंस नेत्र चिकित्सालय में हर दिन नेत्र ऑपरेशन किए जा रहे हैं। डायरेक्टर पूरन राजलानी ने पत्रिका से चर्चा में स्वीकार किया कि हर ब्लॉक में लगाए जा रहे निशुल्क कैम्प में जितने भी मरीज चयनित होते हैं उनका ऑपरेशन किया जा रहा है। जिला मुख्यालय से भी उनके पास मरीज ऑपरेशन के लिए आते हैं। अभी तक 15 हजार नेत्र ऑपरेशन किए जा चुके हैं।
रोक हटने के बाद शुरू होंगे ऑपरेशन


जिला अस्पताल में घटना के बाद नेत्र ऑपरेशन पर रोक लग गई है। इसके बाद मरीज यहां से परासिया और जबलपुर की निजी एजेंसियों के पास ऑपरेशन के लिए जा रहे हैं। जब रोक हटेगी तो ऑपरेशन शुरू किए जाएंगे।
-डॉ.एसके गेडाम, प्रभारी नेत्र विभाग जिला अस्पताल।
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