बुधवार को अस्पताल के नेत्र विभाग के सामने मरीजों की भीड़ जमा थी। कुछ तो अपनी आंखों की जांच के लिए आए थे तो ज्यादातर बुजुर्ग परासिया से आने वाली लॉयंस नेत्र चिकित्सालय की एम्बुलेंस के इंतजार में थे। बातचीत में उपस्थित चिकित्सकों ने भी यह बात स्वीकार की और अस्पताल में नेत्र ऑपरेशन थियेटर सील होने के बाद अपनी मजबूरी भी गिनवा दी।
बुजुर्गों की ओर मुड़े तो सुखमनी नाम की बुजुर्ग महिला ने बताया कि पहले अस्पताल में आंख का ऑपरेशन होना था, लेकिन अब उनसे परासिया में ऑपरेशन होने की बात कही जा रही है। उनके साथ दस बुजुर्ग वहां की एम्बुलेंस की राह देख रहे हैं। इधर कर्मचारियों ने भी दबी जुबान से स्वीकार किया कि आंख ऑपरेशन की घटना के बाद नकारात्मक असर पड़ा है।
आंखों की रोशनी चले जाने के मामले में दो पीडि़त कलावती और दफेलाल का इलाज गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में चल रहा है। इनमें से दफेलाल के परिजन ने इलाज सहीं न होने की शिकायत सीएम हाउस भोपाल में पहुंचकर मुख्यमंत्री से कर दी थी। इस पर सीएम से डॉक्टरों को इन मरीजों के लगातार इलाज के लिए वहीं रखा गया है। इन मरीजों के परिजन छुट्टी भी मांग रहे हैं तो डॉक्टर कह रहे हैं कि सीएम से लिखाकर लाओगे तभी छुट्टी मिलेगी। गौरतलब है कि चार में से दो मरीजों की आंखों की रोशनी इलाज से वापस आ चुकी है।
परासिया के लॉयंस नेत्र चिकित्सालय में हर दिन नेत्र ऑपरेशन किए जा रहे हैं। डायरेक्टर पूरन राजलानी ने पत्रिका से चर्चा में स्वीकार किया कि हर ब्लॉक में लगाए जा रहे निशुल्क कैम्प में जितने भी मरीज चयनित होते हैं उनका ऑपरेशन किया जा रहा है। जिला मुख्यालय से भी उनके पास मरीज ऑपरेशन के लिए आते हैं। अभी तक 15 हजार नेत्र ऑपरेशन किए जा चुके हैं।
जिला अस्पताल में घटना के बाद नेत्र ऑपरेशन पर रोक लग गई है। इसके बाद मरीज यहां से परासिया और जबलपुर की निजी एजेंसियों के पास ऑपरेशन के लिए जा रहे हैं। जब रोक हटेगी तो ऑपरेशन शुरू किए जाएंगे।
-डॉ.एसके गेडाम, प्रभारी नेत्र विभाग जिला अस्पताल।