छिंदवाड़ा

health: एचआरपी पर गंभीर नहीं डॉक्टर हर माह हो रही प्रसूता मौत, जानें वजह

कई प्रयासों के बावजूद कम नहीं हो रही गर्भवतियों की मौत

छिंदवाड़ाFeb 28, 2020 / 11:29 am

Dinesh Sahu

health: एचआरपी पर गंभीर नहीं डॉक्टर हर माह हो रही प्रसूता मौत, जानें वजह

छिंदवाड़ा/ हाईरिस्क प्रेग्नेंसी को लेकर जिले के डॉक्टरों में गंभीरता नहीं है, जिसकी वजह से आए दिन गर्भवतियों की मौत होना सामने आ रहे है। शासन ने हाईरिस्क प्रेग्नेंसी (एचआरपी) को कम करने तथा आवश्यक उपचार दिए जाने के संदर्भ में डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिलाया, जिसके बावजूद रिजल्ट नकाफी मिल रहे है। बुधवार दोपहर करीब 12 बजे ऐसा एक मामला देखने को मिला है, जिसमें जुन्नारदेव के हनोतिया अंतर्गत ग्राम उमरघोड़ निवासी भागवती पति भागीलाल धुर्वे (30) की मौत जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में हो गई।
परिजन ने बताया कि प्रसव पीड़ा होने पर उन्होंने गांव के उप-स्वास्थ्य केंद्र में दिखाया, स्थिति खराब होने पर वहां से उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हनोतिया भेज दिया गया। वहां भी डॉक्टर नहीं मिला तो नर्स/एएनएम ने ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जुन्नारदेव रैफर कर दिया गया, स्थिति गंभीर होने पर यहां से भी इमरजेंसी एंबुलेंस 108 से डॉक्टर ने मरीज को जिला अस्पताल भेज दिया। लेकिन महिला की मौत जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई।

मुख्यालय पर मौजूद नहीं रहते डॉक्टर –

हनोतिया से जारी की गई रैफर पर्ची पर सुबह 9.30 बजे समय लिखा गया था, इसके आधार पर यह स्पष्ट होता है कि शासन द्वारा निर्धारित ओपीडी समय सुबह 9 बजे से डॉक्टर उपस्थित नहीं हो रहे है और न ही मुख्यालय पर मौजूद रहते है, जिसकी वजह से इस तरह के मामले सामने आ रहे है।
फैक्ट फाइल –


भारत में प्रति एक लाख जीवित जन्म देने वाली प्रसूताओं में 130 तथा मध्यप्रदेश में 188 की मौत हो जाती है। वहीं छिंदवाड़ा में यह दर 246 बताई जाती है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के तहत अप्रैल से दिसम्बर तक की स्थिति में जिले में 37 प्रसूताओं की मौत हो चुकी हैं, जिसमें सबसे अधिक मौत जुन्नारदेव विकासखंड की दर्ज की गई है। वहीं जिला अस्पताल में जनवरी से दिसम्बर 2019 तक 11 की मौत होना सामने आया है, जिसमें ज्यादातर विभिन्न संस्थाओं से रैफर होकर जिला अस्पताल पहुंची है।
दस्तावेजी कार्रवाई में भी होती है दिक्कतें –

गंभीर स्थिति में स्थानीय स्तर पर उपचार देने की वजह डॉक्टर रैफर कर जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास करते है। लेकिन रास्ते में मरीज की मौत होती है तो उन्हें जिला अस्पताल में आवश्यक दस्तावेज नहीं मिल पाते है, जिसके कारण परिजन परेशान होते है। परासिया के ग्राम पागारा से ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया है, जिसमें महिला की मौत को दो माह बीतने के बावजूद अब तक मृत्यु प्रमाण-पत्र नहीं मिला है। इसकी वजह स्वास्थ्य अमला ने ऑनलाइन पोर्टल पर मरीज को रैफर करना बताया है, जबकि रास्ते में ही मौत होने पर शव को वापस सम्बंधित संस्था भेजा जाता है।

– जांच कराएंगे

प्रसूता की मौत होने की फिलहाल मुझे जानकारी नहीं है। इसकी जांच कराई जाएगी तथा डॉक्टरों की कमी होने से कुछ डॉक्टरों की ड्यूटी पीएचसी तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दोनों में लगाई गई है। इसकी वजह से वे आना-जाना करते है।

– डॉ. आरआर सिंह, बीएमओ जुन्नारदेव

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