scriptआखिर क्यों रोता है अन्नादाता, जानिए इस खबर में | Heavy devastation from hail | Patrika News

आखिर क्यों रोता है अन्नादाता, जानिए इस खबर में

locationछिंदवाड़ाPublished: Mar 04, 2019 10:41:35 am

Submitted by:

prabha shankar

ओलावृष्टि: छिंदवाड़ा, मोहखेड़ और बिछुआ ब्लॉक में भारी तबाही

छिंदवाड़ा. शनिवार-रविवार की दरमियानी रात को जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में इंद्र देवता ने फिर तांडव दिखाया। अचानक आंधी-तूफान के साथ तेज बारिश तो हुई साथ में आसमान से ओले ऐसे बरसे कि सैकड़ों एकड़ में चमक रहीं गेहूं की बालियां मटियामेट हो गईं। हवा इतनी तेज थी कि सूखी बालियों में से गेहूं के दाने छिटककर दूर गिर गए। इसके बाद तीन से चार मिनट तक गिरे ओलों ने काम तमाम कर दिया था और पीली बालियों को खेतों जमींदोज कर दिया।
अपने घर के आंगन में रात को ओले समेट रहे किसानों को पता चल गया था कि उनके साथ फिर प्रकृति ने क्रूर मजाक किया है। सुबह वे खेत पहुंचे तो अंदाजा सही निकला। छिंदवाड़ा, मोहखेड़ और बिछुआ विकासखंड के दर्जनों गांवों में ओलावृष्टि ने फिर किसानों को खून के आंसू रुला दिए हैं। सुबह तहसीलदारों समेत हल्का पटवारी, कोटवार और कृषि विभाग के कर्मचारी गांवों की तरफ पहुंचे और जानकारी लेते रहे। इस बार नुकसान का आंकड़ा ज्यादा लग रहा है।
शिकारपुर से लेकर सांख, जटामा तक पड़ी मार
जिला मुख्यालय से लगभग 11 किलोमीटर दूर चारगांव के रामचरण बाकरेटिया ने ढाई एकड़ में गेहूं लगाया था। फसल पक चुकी थी और गेहूं काटने की तैयारी थी। ढाई एकड़ में उनका खेत पीली बालियों से चमक रहा था। इस बार उन्हें उम्मीद थी कि अच्छे दाने आए थे। पिछले सप्ताह हुई ओलावृष्टि से उनका गांव बच गया था, लेकिन शनिवार की रात कुछ मिनटों में ही खेत की हालत बदल गई। उनका कहना है कि अब तो घर में खाने के लायक गेहूं भी निकलेगा आशंका है। तेज हवा पानी और ओलों ने गेहूं के दाने जमीन में छितरा दिए हैं। इसी गांव के रामप्रसाद पटेल ने चार एकड़ में गेहूं लगाया था। दो एकड़ में तो उन्होंने कटाई कर ली, लेकिन दो एकड़ में खड़ा गेहूं मिट्टी में मिल गया। अब वो गेहंू किसी काम का नहीं। हिरदे की पांच एकड़, मोतीलाल के दो एकड़ में लगा गेहूं भी बर्बाद हो गया। मोतीलाल और हिरदे ने बताया कि गांव में सिंचाई की सुविधा नहीं है और किसान प्राकृतिक वर्षा पर ही निर्भर हैं। इस बार कम बारिश के कारण वैसे ही परेशानी थी, अब इसे बयान नहीं किया जा सकता। गांव के सुमेर सोलंकी, लक्ष्मण, काशीराम, शंकर आदि किसानों के चेहरे बता रहे हैं कि चार महीने की उनकी मेहनत बर्बाद हो गई है।
पत्थर बन गए ओले
मोहखेड़ सारोठ. मोहखेड़ व बिछुआ में भी जमकर ओलावृष्टि हुई। यहां तो ओले आपस में मिलकर पत्थर बन गए जो सुबह तक घुले नहीं थे। सारोठ में सुबह किसानों ने और लोगों ने ये पत्थर अपने हाथ में उठाकर दिखाए। बिछुआ में हरे-भरे खेत बुरी तरह बिछ गए हैं। बिछुआ और मोहखेड़ में भी 10 से ज्यादा गावों में बर्बादी की निशान देखे जा सकते हैं।

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