इस बात की भनक जैसे ही स्वास्थ्य कर्मचारियों को लगी तो उन्होंने शिविर की अनुमति की जानकारी मांगी तथा उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना दी। तब तक लाइफलाइन ने पांच यूनिट रक्त संग्रह कर लिया था। लाइफ लाइन टीम एक एम्बुलेंस लेकर आई थी। इसमें एक बार में पांच व्यक्ति रक्तदान कर सकते थे।
गौरतलब है कि जिले में बिना स्वास्थ्य अधिकारी की अनुमति के रक्तदान शिविर नहीं लगाया जा सकता है। इसके बाद भी सौंसर पांढुर्ना सहित अन्य ब्लॉकों में निजी संस्थाओं द्वारा बेखौफ शिविर लगाए जाते हैं।
नहीं दी अनुमति
जिला अस्पताल के साथ किसी भी शासकीय संस्था में बिना अनुमति के रक्तदान शिविर नहीं लगाया जा सकता है। जानकारी मिलने पर जिला अस्पताल में लगे शिविर को बंद कराया गया।
जेएस गोगिया, सीएमएचओ जिला अस्पताल में अक्सर होता है विवाद
जिला अस्पताल में आए दिन रक्त उपलब्धता को लेकर विवाद होते रहता है। रक्तदाता न मिलने पर कई बार मरीजों को बिना एक्सचेंज किए रक्त देना पड़ता है। कई मामले में तो दलाल मरीजों को गुमराह कर हजारों रुपए वसूल लेते हैं। जबकि जिला अस्पताल में ही प्रतिदिन 40 से 50 यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है।
स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने जताई आपत्ति
मप्र स्वास्थ्य कर्मचारी संघ छिंदवाड़ा ने इस लापरवाही पर आक्रोश जताया है। जिला अध्यक्ष धीरज सारवान ने बताया कि नागपुर की निजी संस्था लाइफ लाइन ने जबरन परिसर में शिविर लगाया। इसकी जानकारी सीएमएचओ को दी गई। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
मप्र स्वास्थ्य कर्मचारी संघ छिंदवाड़ा ने इस लापरवाही पर आक्रोश जताया है। जिला अध्यक्ष धीरज सारवान ने बताया कि नागपुर की निजी संस्था लाइफ लाइन ने जबरन परिसर में शिविर लगाया। इसकी जानकारी सीएमएचओ को दी गई। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।