छह साल से चार कमरे में संचालित हो रहा छत्रसाल विवि
छतरपुर में वर्ष 2014 में महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय शासकीय स्वशासी महाराजा कॉलेज के चार कमरों खोला गया। इस विवि से सागर, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ और दमोह जिले के 182 कॉलेज संबद्ध किए गए, लेकिन 6 साल बीतने के बावजूद विवि को न स्थाई भवन मिला और न ही सुविधाएं। बेहतर शिक्षा व व्यवस्था के सूचारू संचालन के लिए बजट की कमी सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। छह साल बाद भी विश्वविद्यालय महज कॉलेजों के परीक्षा संचालन का कार्य कर रहा है।
छतरपुर में वर्ष 2014 में महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय शासकीय स्वशासी महाराजा कॉलेज के चार कमरों खोला गया। इस विवि से सागर, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ और दमोह जिले के 182 कॉलेज संबद्ध किए गए, लेकिन 6 साल बीतने के बावजूद विवि को न स्थाई भवन मिला और न ही सुविधाएं। बेहतर शिक्षा व व्यवस्था के सूचारू संचालन के लिए बजट की कमी सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। छह साल बाद भी विश्वविद्यालय महज कॉलेजों के परीक्षा संचालन का कार्य कर रहा है।
यह होता फायदा
अगर समय से छिंदवाड़ा विवि बिल्डिंग बनकर तैयार हो जाती तो विवि का शिक्षण विभाग शुरु हो जाता। फैकल्टी का रिक्रूटमेंट हो जाता। 12बी के तहत रूसा और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से ग्रांट भी मिलने लगती। विवि ऐसे कोर्सेज शुरु कर सकता था जिससे रोजगार के अवसर पैदा होते। इसके अलावा विवि में अधिक से अधिक शोध होते तो अधिक से अधिक पेटेंट होते। इससे विवि के कई रिसर्च संस्था से पारस्परिक सहयोग हो जाता और विश्वविद्यालय को आय के स्त्रोत जनरेट होते। इससे संस्थाओं की राष्ट्रीय रैकिंग में विवि को स्थान मिलता। नई शिक्षा नीति का विद्यार्थियों को अधिक से अधिक लाभ मिलता।
इनका कहना है…
बजट अनुदान के लिए शासन ने पत्राचार किया जा रहा है। दो करोड़ रुपए की डिमांड की गई है। उम्मीद है कि जल्द ही बजट जारी हो जाएगा।
डॉ. राजेन्द्र मिश्र, कुलसचिव, छिंदवाड़ा विवि