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Higher education: लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहा यह जिला, नहीं मिली कॉलेज खोलने की मंजूरी

locationछिंदवाड़ाPublished: Oct 04, 2021 12:29:54 pm

Submitted by:

ashish mishra

नवीन विषय प्रारंभ करने की स्वीकृति प्रदान की है।

college admission form

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छिंदवाड़ा. शासन ने प्रदेश के 11 जिलों में शासकीय कॉलेज की स्थापना एवं पूर्व से संचालित 5 शासकीय कॉलेजों में स्नातक स्तर पर नवीन संकाय प्रारंभ करने तथा 1 शासकीय कॉलेज में स्नातकोत्तर स्तर पर नवीन विषय प्रारंभ करने की स्वीकृति प्रदान की है। हैरानी की बात यह है कि इस लिस्ट में छिंदवाड़ा का नाम शामिल नहीं है। यानी एक बार फिर छिंदवाड़ा की उपेक्षा की गई है। जबकि लगभग छह माह पहले उच्च शिक्षा विभाग ने छिंदवाड़ा जिले के लीड कॉलेज से डिमांड मांगी थी। प्राचार्य ने मुख्यालय में एक कोएड कॉलेज एवं एक गल्र्स कॉलेज खोलने की आवश्यकता बताते हुए प्रस्ताव भेजा था। जिस पर शासन ने मुहर नहीं लगाई। जबकि मुख्यालय में एक शासकीय कोएड कॉलेज एवं एक शासकीय गल्र्स कॉलेज की सख्त जरूरत है। इसकी वजह यह है कि साल दर साल मुख्यालय में स्थित शासकीय स्वशासी पीजी कॉलेज एवं राजमाता सिंधिया गल्र्स कॉलेज में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वर्ष 2020-21 में गल्र्स कॉलेज में साढ़े नौ हजार एवं पीजी कॉलेज में 9 हजार विद्यार्थी अध्ययरत थे। सत्र 2021-22 में विद्यार्थियों की संख्या लगभग 11 हजार तक पहुंच गई है। बड़ी बात यह है कि हर वर्ष इन दोनों ही कॉलेजों में दाखिले के लिए सबसे अधिक दबाव रहता है। अपने कैंडिडेट के दाखिले के लिए माननियों तक के फोन प्राचार्यों के पास आते हैं। वहीं छात्र संगठन भी हर वर्ष सभी विद्यार्थियों के दाखिले के लिए प्रदर्शन कर कॉलेजों पर दबाव बनाते हैं। संसाधन न होने के बावजूद भी कॉलेज हर वर्ष 30 से 40 प्रतिशत तक सीट वृद्धि कर विद्यार्थियों को दाखिले दे देता है। शासन द्वारा मुख्यालय में अगर जल्द ही शासकीय कॉलेज की स्वीकृति नहीं दी गई तो आने वाले समय में भी यही हाल रहेगा।

विभाग झाड़ लेता है पल्ला, इस बार कर दी हद
हर वर्ष दाखिले के समय उच्च शिक्षा विभाग कॉलेजों को एक पत्र जारी करता है, जिसमें संसाधन के हिसाब से सीट वृद्धि की छूट दी जाती है। कॉलेज प्राचार्यों को पत्र जारी कर विभाग तो पल्ला झाड़ लेता है, लेकिन दिक्कत शासकीय कॉलेजों को होती है। इस बार तो विभाग ने हर कर दी। कॉलेजों से अनुमति चाहे बिना ही सीएलसी चरण में शासकीय कॉलेजों में स्नातक, स्नातकोत्तर में 25 प्रतिशत की सीट वृद्धि कर डाली। उच्च शिक्षा से जुड़े विषय विशेषज्ञों का कहना है कि स्नातकोत्तर में कई विषय प्रेक्टिकल के होते हैं। इन सबके बावजूद भी विभाग ने 25 प्रतिशत तक वृद्धि कर डाली।
टूटेंगी गाइडलाइन की धज्जियां
यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार कॉलेजों में 80 विद्यार्थियों पर एक सेक्शन होना चाहिए। वहीं नैक के अनुसार 20 विद्यार्थी पर एक प्राध्यापक मार्गदर्शक होना चाहिए। वर्तमान में पीजी कॉलेज एवं गल्र्स कॉलेज में एक प्राध्यापक पर 300 विद्यार्थियों की जिम्मेदारी है। ऐसे में हर वर्ष की तरह इस बार भी इन कॉलेजों में गाइडलाइन की धज्जियां उड़ेंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि छिंदवाड़ा में सिविल सोसायटी सक्रिय नहीं है। अगर एकेडमिक ऑडिट हो जाए तो कॉलेज नियमों पर खरे नहीं उतरेंगे।
इनका कहना है..
यह बात सही है कि विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से संसाधन नहीं है। इसके बाावजूद भी व्यवस्था बनाई जाएगी। विभाग ने प्रस्ताव मांगा था। मैंने मुख्यालय में दो कॉलेज खोलने का प्रस्ताव भेजा था।
डॉ. अमिताभ पांडे, प्राचार्य, पीजी कॉलेज
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सीएलसी चरण में 25 प्रतिशत सीट वृद्धि के बाद भी आवेदन अधिक होने पर और सीट बढ़ाने के लिए विभाग को लिखा गया था जो मंजूर हो गया है। इस वर्ष लगभग 11 हजार छात्राएं कॉलेज में अध्ययरत रहेंगी। सबके अध्ययन की व्यवस्था बनाई जाएगी।
डॉ. कामना वर्मा, प्राचार्य, गल्र्स कॉलेज

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