देवगढ़ गांव और आस-पास के इलाके में सोलहवीं शताब्दी की कुएं और बावडिय़ां है, जिनकी सफाई पहली बार जिला प्रशासन कर रहा है। एक साथ 45 बावड़ी की सफाई और मरम्मत का काम चल रहा है, इस दौरान बावड़ी से खंडित भगनावशेष निकल रहे हैं, पत्थरों पर नक्कासी कर बनाई गई कलाकृति सोलहवीं शताब्दी के आस-पास की बताई जा रही है। अभी तक दो बावड़ी से अवशेष मिले हैं, किसान नवल शाह की बावड़ी और भैयालाल की बावड़ी से ही अवशेष मिले हैं। प्राथमिक तौर पर कहा जा रहा है कि बावड़ी से मिले अवशेष महल पिल्लर पर या फिर द्वार पर बनी कलाकृति या फिर कोई मूर्ति भी हो सकती है। प्रशासन जांच कराने के बाद भी इस मामले में कुछ कहने की बात कह रहा है।
प्राचीन धरोहर है बावड़ी
छिंदवाड़ा के देवगढ़ की बावडिय़ां 16 वीं सदी की बताई जाती है। प्राचीन धरोहर को बचाने के लिए कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन और जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र सिंह नागेश लगातार देवगढ़ का निरीक्षण कर रहे हैं। बावडिय़ों को उनके मूल रूप में ही बनाए रखने के लिए चूना दस टन, गुड़ पचास किलो, बेल, मैंथी बीस किलो, उड़द दाल दस किलो और गोंद के तैयार किए गए मिश्रण से पत्थरों को जोड़ा जाएगा। सभी सामग्री को फिलहाल ड्रम और जमीन में तैयार किए गए गड्डों में पकाया जा रहा है।
बावड़ी से मिल रहे भगनावशेष
देवगढ़ की बावड़ी से भगनावशेष मिल रहे हैं, जो भवन के पिल्लर पर बनाई हुई कलाकृति या फिर द्वार पर लगाई गई मूर्ति हो सकती है। सजो सामान के लिए रखी कलाकृति भी हो सकती है।
-नागेन्द्र बांगरे, पुरातत्व के जानकार
जांच कराई जाएगी
फिलहाल दो बावड़ी से पत्थरों पर बनी कलाकृति मिली है जिन्हें सुरक्षित रखा जा चुका है, जिनकी जल्द ही जांच कराई जाएगी।
-गजेन्द्र सिंह नागेश, सीइओ जिला पंचायत, छिंदवाड़ा