खुले शब्दों में कहा कि समाज में महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा केवल कागजों में मिला है। जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही है। आज भी देश पुरुष प्रधान है जहां महिलाओं को एक अलग नजरिए से देखता है। बात घर की, समाज, कार्यस्थल या फिर राजनीति की हो हर जगह महिलाओं को दोयम दरजे की ही माना जाता है। सम्मान की बात करें तो शुरुआत घर से होनी चाहिए तब जाकर महिलाओं को समाज में मान मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाएं पीडि़त और शोषित है। सुधार के लिए बड़े स्तर पर आवाज उठाने की जरूरत आज भी है।
खरीदफारोखत जारी है
नाबालिग, युवती और महिलाओं की खरीद फरोख्त जिले में लगातार हो रही है। पुलिस के लाख प्रयासों के बाद भी सुधार नहीं हो रहा है। महिलाएं और नाबालिग बच्चियों पर अत्याचार आज भी हो रहे हैं। वन स्टॉप सेंटर खुलने के बाद महिलाओं को मदद मिल रही है, फिर भी समाज में महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लोगों में जागरूकता की कमी है।
-एमन अंसारी, वन स्टॉप सेंटर, छिंदवाड़ा
नहीं मिलता पूरा सम्मान
मैं वन स्टॉप सेंटर से जुड़ी हूं, मेरे पास हर दिन एेसी महिलाएं आती है जिन पर अत्याचार होता है। स्थिति अगर सुधर चुकी होती तो मामले सामने नहीं आते, इससे साफ हो रहा है कि आज भी महिलाएं प्रताडि़त है और उन पर अत्याचार हो रहे हैं। समाज और कार्य क्षेत्र की बात तो दूर महिलाएं घर में ही प्रताडि़त हो रही है, जिसका समाधान बहुत जरूरी है।
-एकता साहू, वन स्टॉप सेंटर, छिंदवाड़ा
जागरूकता की जरूरत
शहरों में महिलाओं की स्थिति कुछ हद तक सुधर चुकी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में हालात बहुत ही बुरे हैं। महिलाओं के साथ अच्छा बर्ताव नहीं होता। महिलाओं के प्रति अच्छी सोच आज भी नहीं बनी है। मेरे पास एेसे कई प्रकरण आते हैं जिनमें महिलाएं बहुत ज्यादा प्रताडि़त होती है चाहे बात मानसिक प्रताडऩा की हो या फिर शारीरिक प्रताडऩा की।
-स्मिता गंगराडे, अधिवक्ता, जिला न्यायालय छिंदवाड़ा
सम्मान से नहीं होगा समाधान
अच्छा काम करने वाली महिलाओं को मंच पर लाकर उनका सम्मान करना अच्छी बात है। महज सम्मान से महिलाओं की स्थिति नहीं सुधर सकती। आज भी महिलाएं प्रताडि़त है और उन पर अत्याचार हो रहे हैं। समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए जागरूकता से जुड़े कार्यक्रम होने चाहिए। पुरुषों की मानसिकता बदलेगी तब असल मायने में सम्मान मिलेगा।
-नंदारानी यदुवंशी, अधिवक्ता, जिला न्यायालय छिंदवाड़ा
तीन तलाक पूरी तरह गलत
मैं मुस्लिम समाज से हूं, मेरे समाज में तीन तलाक सबसे बड़ी कूप्रथा है जिसका विरोध जरूरी है, लेकिन राजनीतिक आधार पर नहीं। तीन बार तलाक कहने मात्र से एक महिला की जिदंगी पर उसका क्या असर पड़ता है इसे गहराई से समझना होगा। एक महिला की जिदंगी बर्बाद हो जाती है। महिला दिवस तो तब होगा जब महिलाओं को सम्मान मिलेगा।
-बेबी खान, रिटायर्ड शिक्षिका एवं समाजेसवी
शिक्षा बहुत जरूरी
आज भी लोगों की मानसिकता है कि बेटा पढ़ लिखकर साहब बने, लेकिन बेटी केवल घर में बर्तन साफ करेगी। घर और परिवार में ही शुरुआत से बेटी को कम आंका जाता है। घर में पूरा सम्मान मिलेगा तब तो समाज में उसे मान मिलेगा। महिलाओं के प्रति पुरुषों ने मानसिकता बदलनी चाहिए। बेटियों को संस्कार और आदर देना परिवार की जिम्मेदारी है।
-कोकिला वानखेड़े, रिटायर्ड शिक्षिका एवं समाजसेवी