यूनिसेफ द्वारा 20 नवम्बर 2018 को यूनिवर्सल चिल्डे्रंस डे की थीम बाल सुरक्षा और स्वास्थ्य पर रखी है। इसके तहत जिले में हर वर्ष हो रही शिशुओं की मृत्यु विषय पर हैरान करने वाले आंकड़े सामने आ रहे हंै। बताया जाता है कि कम उम्र में विवाह, खून की कमी, गर्भवतियों को पर्याप्त पोषण आहार न मिलना तथा गर्भावस्था के दौरान समग्र गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व सेवाएं प्राप्त न होने से मृत शिशु के जन्म की आशंका ज्यादा होती है। छिंदवाड़ा समेत प्रदेश में स्वास्थ्य समस्याएं व्याप्त हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ कई स्त्री व शिशु रोग विशेषज्ञ शहरी क्षेत्र में अटैचमेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं। ऐसी कई और भी वजह हैं।
जन्म से पहले ही मार दिए गए 7119 भ्रूण
मध्यप्रदेश में वर्ष 2007 से 2017-18 की अवधि में 6,28,941 चिकित्सकीय गर्भपात किए गए। इस अवधि में छिंदवाड़ा में 7119 गर्भपात के मामले शामिल हैं। गर्भावस्था के दौरान महिला की स्थिति जटिल होना, बच्चे के विकास में कोई गम्भीर विकृति पता चलना, भ्रूण का विकास न होना अथवा किसी वजह से गर्भ नहीं रखना आदि कारणों से चिकित्सकीय गर्भपात किया जाता है। अवैधानिक रूप से परीक्षण कराने से भी जन्म से पहले शिशुओं की मौत हो जाती है।
यह भी प्रमुख वजह
19.2 प्रतिशत विलम्ब और जटिल प्रसव के कारण
20.8 प्रतिशत निमोनिया, सेप्सिस और संक्रमण के कारण
8.1 प्रतिशत जन्मजात असामान्यताओं की वजह से
35.9 प्रतिशत समय से पहले प्रसव या कम वजन से
16 प्रतिशत समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों को कोलेस्ट्रम फीडिंग न होना आदि शामिल हैं।