अखंड हरिनाम संकीर्तन के सातों दिन ग्रामवासियों द्वारा संतों को भोज कराया जाता है । आखरी दिन हर मोहल्ले में महाप्रसाद का आयोजन होता है।भोज के लिए दान भी खूब मिलता है। मंदिर के स्वयं की लगभग २० एकड़ भूमि है।
पदयात्रियों की सेवा
महोत्सव में शामिल होने के लिए सामाजिक,धार्मिक संगठन सौंसर से बेरडी तक वाहनों की व्यवस्था करते हैं। लेकिन सैकडों लोग सौंसर से बेरडी तक पैदल ही जाते है। रास्ते में भक्तों के लिए अल्पाहार की व्यवस्था की जाती है।