अधिकारी कर सकते हैं दस्तावेजों की जांच
खनिज या उसके उत्पाद की जांच प्राधिकृत अधिकारी द्वारा की जा सकती है। वह किसी भी स्थान पर जांच कर सकता है। प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा मांगे किए जाने पर उसे खनिज परिवहन के लिए वाहन का पंजीयन, देयक, बिल, रायॅल्टी रसीद, आदि प्रस्तुत करना होगा। इसका सत्यापन निर्धारित पोर्टल एवं मोबाइल एप के माध्यम से किया जा सकेगा।
पुलिस को सिर्फ सूचना देने का अधिकार
खनिजों के अवैध उत्खनन, भंडारण, परिवहन तथा अभिवहन पारपत्र में उल्लिखित मात्रा से अधिक परिवहन पाए जाने पर पुलिस द्वारा इसकी सूचना अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को दी जाएगी। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के आधार नियम 23 एवं 24 के उपबंधों के अधीन कार्रवाई करेगा।
साक्ष्यों को इकत्रित रखना होगा जरूरी
खनिजों के संबंध में जिन्हें भी जांच के अधिकार मिले है उन सभी प्राधिकृत व्यक्तियों को मौके पर पंचनामा तैयार करना होगा। आवश्यक साक्ष्य एकत्रित करना होगा। इसमें अवैध उत्खनन, परिवहन एवं भंडारण की वीडियोग्राफी शामिल है। उपकरणों को भी जब्त करना होगा। जरूरी हुआ तो पुलिस थाने से पुलिस बल की मांग कर सकते हैं।
जांच चौकियों को भी मिले हैं अधिकार
खनिजों के तौल एवं निरीक्षण के लिए जाचं चौकियों को भी अधिकार दिए जाते हैं, यहां वे अधिकारी कर्मचारी निरीक्षण कर सकते हंै जिसे कलेक्टर द्वारा नियुक्त किया गया हो। खनिजों के अवैध परिवहन एवं भंडारण पर रोक लगाने की दृष्टि से जरूरी हुआ तो राज्य सरकार लिखित रूप से आदेश द्वारा राज्य में किसी स्थान या किन्ही स्थानों पर जांच चौकियां स्थापित करने का निर्देश दे सकेगी, जिसे राजपत्र में अधिसूचित करना होगा। वहीं जिले में किसी भी स्थान पर जांच के लिए कलेक्टर द्वारा अस्थाई व्यवस्था की जा सकती है।
इनका कहना है
खनिजों के अवैध उत्खनन, परिवहन, भंडारण की जांच में प्रशासनिक अधिकारियों को खनिज विभाग के अधिकारियों, निरीक्षकों के समान ही अधिकार हैं। वे जांच कर प्रकरण तैयार कर सकते हैं।
-मनीष पालेवार, जिला खनिज अधिकारी