फरवरी में सीआरएस का लक्ष्य
इतवारी से केलोद तक सीआरएस के बाद अब गेज कन्वर्जन का अगला लक्ष्य केलोद से भिमालगोंदी तक सीआरएस कराना है। इस नए रेलमार्ग पर अभी थोड़े-बहुत काम रह गए हैं। अधिकारियों की मानें तो कार्य एक हफ्ते में पूरे हो जाएंगे। इसके बाद फरवरी में सीआरएस को आमंत्रित करने का प्रस्ताव दिया जाएगा।
इतवारी से केलोद तक सीआरएस के बाद अब गेज कन्वर्जन का अगला लक्ष्य केलोद से भिमालगोंदी तक सीआरएस कराना है। इस नए रेलमार्ग पर अभी थोड़े-बहुत काम रह गए हैं। अधिकारियों की मानें तो कार्य एक हफ्ते में पूरे हो जाएंगे। इसके बाद फरवरी में सीआरएस को आमंत्रित करने का प्रस्ताव दिया जाएगा।
यहां आ रही परेशानी
गेज कन्वर्जन विभाग को भिमालगोंदी से भंडारकुंड तक कुल 20 किमी रेलमार्ग के लिए रेलवे बोर्ड ने पटरी उपलब्ध नहीं कराई है। फरवरी में रेल बजट के बाद ही अब पटरी आने की उम्मीद है। सूत्रों की मानें तो इस कार्य में अब तीन से चार माह का समय लग सकता है। ऐसे में भिमालगोंदी से भंडारकुंड तक सीआरएस में पांच माह या इससे अधिक का समय लग सकता है। चारों खंडों में सीआरएस होने के बाद ही छिंदवाड़ा से नागपुर तक लोगों को ट्रेन मिल पाएगी। वहीं इस बार दिसम्बर माह में रेलवे बोर्ड द्वारा जारी किए गए रिवाइज बजट में भी जरूरत के हिसाब से बजट नहीं दिया गया है। ऐसे में छिंदवाड़ा से नागपुर एवं जबलपुर तक रेल परियोजनाओं की रफ्तार अभी तीन से चार माह धीमे ही रहेगी।
गेज कन्वर्जन विभाग को भिमालगोंदी से भंडारकुंड तक कुल 20 किमी रेलमार्ग के लिए रेलवे बोर्ड ने पटरी उपलब्ध नहीं कराई है। फरवरी में रेल बजट के बाद ही अब पटरी आने की उम्मीद है। सूत्रों की मानें तो इस कार्य में अब तीन से चार माह का समय लग सकता है। ऐसे में भिमालगोंदी से भंडारकुंड तक सीआरएस में पांच माह या इससे अधिक का समय लग सकता है। चारों खंडों में सीआरएस होने के बाद ही छिंदवाड़ा से नागपुर तक लोगों को ट्रेन मिल पाएगी। वहीं इस बार दिसम्बर माह में रेलवे बोर्ड द्वारा जारी किए गए रिवाइज बजट में भी जरूरत के हिसाब से बजट नहीं दिया गया है। ऐसे में छिंदवाड़ा से नागपुर एवं जबलपुर तक रेल परियोजनाओं की रफ्तार अभी तीन से चार माह धीमे ही रहेगी।