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Inflation: 22 से 45 रुपए प्रति लीटर पहुंचा केरोसिन तेल

locationछिंदवाड़ाPublished: Sep 17, 2021 11:32:46 am

Submitted by:

prabha shankar

हर माह पैसों में बढ़ोतरी, पेट्रोल-डीजल की कीमतों की तरह पेट्रोलियम कम्पनियों ने बढ़ाए दाम

chhindwara

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छिंदवाड़ा। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जिस तरह धीरे-धीरे पैसों में मूल्यवृद्धि की गई है, उसी तरह गरीबों के मिट्टी तेल के दाम भी दोगुने कर दिए गए हैं। दो वर्ष पहले 22 रुपए लीटर में राशन दुकान में मिलने वाला केरोसिन अब 45 रुपए लीटर हो गया है। इससे कहीं न कहीं गरीब उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ा है।
जिले की 815 राशन दुकानों में 3.49 लाख प्राथमिक श्रेणी और 50 हजार अति गरीब परिवारों के लिए हर माह चार लाख 15 हजार 331 लीटर केरोसिन आता है। ये केरोसिन अति गरीब परिवारों को दो लीटर तथा प्राथमिक श्रेणी परिवारों को एक लीटर दिए जाने का प्रावधान है। इनमें किसी के पास रसोई गैस कनेक्शन हो तो उसे नहीं मिलता है। राशन दुकानदारों के केरोसिन के बिलों को देखा जाए तो पिछले दो वर्षों में गरीबों के इस तेल में महंगाई की आग लगी हुई है। वर्ष 2019 में केरोसिन को 22 से 24 रुपए लीटर तक बेचा जाता था तो अब 2021 आते-आते ये केरोसिन 43.57 रुपए से लेकर 45 रुपए लीटर हो गया है।
बताया जाता है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें तो हर दिन बढ़ाई-घटाई जाती हैं और केरोसिन के दाम हर माह में दो बार संशोधित होते हैं। पिछले दो वर्षों से हर माह रुपए-पैसे में ये मूल्य पेट्रोलियम कम्पनियां बढ़ा रहीं हंै। इससे गरीब परिवारों को कहीं न कहीं यह मूल्यवृद्धि सहन करनी पड़ रही है। अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं कि केरोसिन में ये मूल्यवृद्धि हो रही है। दो साल में तो कीमतें दोगुनी दिखाई देने लगी हैं।

शहर में 43.57 रुपए तो ग्रामीण में 45 रुपए लीटर
इस समय छिंदवाड़ा शहर की राशन दुकानों में मिट्टी तेल की कीमत 43.57 रुपए लीटर है तो ग्रामीण इलाकों में परिवहन लागत के हिसाब से यह कीमत 45 रुपए लीटर अधिकतम है। इसके हिसाब से राशन दुकानदार अलग-अलग कीमतें वसूल करते हैं।

चिमनी से लेकर ईधन में मिट्टी तेल का उपयोग
शहर में रसोई गैस और बिजली आ जाने से शहरी गरीबों को मिट्टी तेल की आवश्यकता ज्यादातर नहीं रह गई है। केवल ग्रामीण इलाकों के गरीब रोशनी करने के लिए चिमनी तथा रोटी पकाने के लिए इस तेल का उपयोग करते हैं। जिसकी मात्रा भी हर परिवार को एक या दो लीटर तक सीमित कर दी गई है।

उज्ज्वला गैस कनेक्शन की संख्या से घटा कोटा
खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उज्ज्वला गैस योजना से पहले जिले में मिट्टी तेल का कोटा अधिक था, लेकिन दो लाख कनेक्शन होने के बाद इसकी मात्रा सीमित कर दी गई है। हालांकि रसोई गैस सिलेण्डर की कीमत 908.50 रुपए पहुंच जाने और सब्सिडी न के बराबर कर दिए जाने से ग्रामीण इलाकों में गैस रिफलिंग अनुपात में नहीं हो पा रही है।

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