छिंदवाड़ाPublished: Jun 15, 2019 05:16:17 pm
Sanjay Kumar Dandale
नगर में आधा दर्जन से अधिक कोचिंग सेंटर संचालित है जो शासन के मापदण्डों को ताक में रखकर बेधडक चल रहे हैं।
Coaching center
पिपला. नगर में इन दिनों कोचिंग संस्थाओं का अवैध रूप सें व्यापार चल निकला है। सुविधाओं से परिपूर्ण नहीं होने के बावजूद भी कोचिग संचालक लाखों का व्यापार कर रहे है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के इस दौर में पिपला क्षेत्र के लगभग एक दर्जन से अधिक ग्रामों के छात्र छात्रायें नगर में अध्यापन कार्य के लिये आते है। नगर में आधा दर्जन से अधिक कोचिंग सेंटर संचालित है जो शासन के मापदण्डों को ताक में रखकर बेधडक चल रहे हैं।
तहसील मुख्यालय में हुई कार्रवाई के बाद में नगर के कोंचिग संचालकों में हडकंप मचा हुआ था लेकिन अधिकारियों द्वारा नगर में किसी भी कोंचिग सेंटर की जांच नहीं किए जाने स ेअब फिर जस की तस व्यवस्था बनी हुई है। मोटी फाीस देने के बावजूद भी छात्र छात्राओं को कम जगह में बैठाकर अध्यापन कराया जा रहा है। कोंचिंग संस्थानों को प्रशासन द्वारा कडाई से जांच की जाये तो निश्चित तौर पर कोंचिग संस्थान पर ताला लग जायेगा।
नगर सहित आपसपास के ग्रामीण इलाकों बानाबाकोडा, पंढरी, ढोकडोह, सितापार, छिंदेवानी, गांगतवाडा, मेहराखापा, सेमरा, रिधोरा से विद्यार्थी क्रमश: पालियों में प्रात: 5 बजे से अध्यापन के लिये आते है। ऐसे में इनकी सुरक्षा का दायित्व कौन निभायेगा। हम बात छात्राओं के प्रात: से आने की कर रहे है। जिसकी जवाबदारी कोंचिग संचालक की होगी या स्वयं अध्यापनकर्ता की यह समझ से परे है। संस्थानों में निर्धारित मापदण्ड के अनुसार सीसीटीवी कैमरे, पार्किंग व्यवस्था, अग्निशमन यंत्र, बच्चों के बैठने की पर्याप्त व्यवस्था, प्रकाश व्यवस्था के अलावा वेटींलेटर का अभाव है। इस सम्बंध में नगर पालिका अध्यक्ष नरेन्द्र परिहार ने कहा कि छात्राओं की सुरक्षा को देखते हुये प्रात: 5 बजें के स्थान पर सुबह 8 से शाम 6 बजे तक का समय निर्धारित होना चाहिये। सुरक्षा को देखते हुये छात्राओं का रूटचार्ट एवं अध्यापन के लिए महिला शिक्षिका होनी चाहिये।
बगैर पंजीयन के चल रहे संस्थान
प्रतिवर्ष लाखों का व्यवसाय करने वाले संस्थानों में किसी प्रकार का पंजीयन नहीं है। बगैर पंजीयन के सब कुछ चल रहा है। ऐसे में पालकों द्वारा कई बार प्रशासन के समक्ष पंजीयन की जांच की मांग उठाई किंतु मांग उठाने वालों की आवाज को दबा दिया जाता है। ऐसे में बगैर पंजीयन के लाखों का व्यवसाय कोचिंग संस्थानों द्वारा किया जा रहा है। सामाजिक संगठनों द्वारा कोंचिग संस्थानों के खिलाफ आवाज उठाने का प्रयास किया जाना चाहिये।