छिंदवाड़ा

Interview: मक्का से निराश किसानों के लिए ये विकल्प..बस मैदान में करने की जरूरत

होशंगाबाद और नरसिंहपुर को कृषि कर्मण अवार्ड दिलाने वाले उपसंचालक कृषि जितेन्द्र सिंह ने दिलाया भरोसा

छिंदवाड़ाSep 29, 2021 / 06:07 pm

manohar soni

Interview: मक्का से निराश किसानों के लिए ये विकल्प..बस मैदान में करने की जरूरत

छिंदवाड़ा. खरीफ सीजन की प्रमुख फसल मक्का का उचित मूल्य न मिलने से निराश किसानों के लिए ज्वार की फसल लागत और बाजार मूल्य की दृष्टि से बेहतर विकल्प है तो रबी सीजन में सरसों की अंतरवर्ती फसल खेती-किसानी की दिशा और दशा बदल सकती है। बस छिंदवाड़ा की माटी की जरूरत को समझते हुए इस विचार पर काम करने की जरूरत है। यह कहना है नवागत उपसंचालक कृषि जितेन्द्र कुमार सिंह का। इससे पहले नरसिंहपुर और होशंगाबाद में अपने नवाचार से देश के प्रतिष्ठित कृषि कर्मण अवार्ड दिला चुके सिंह से पत्रिका ने विशेष बातचीत की।
सवाल: मक्का फसल से किसान तीन साल से निराश है। इससे कैसे उबरा जा सकता है?
जवाब: छिंदवाड़ा की खेती देखने के बाद पाया कि मक्का का बेहतर विकल्प ज्वार बन सकती है। इसकी लागत मक्का के मुकाबले 25 प्रतिशत कम है। फिर इसे सरकार समर्थन मूल्य 2760 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से खरीद रही है। मक्का की तुलना में रोग न के बराबर है। इस विचार को हम किसानों के साथ बातचीत कर आगे बढ़ाएंगे।
सवाल: रबी में सरसों की फसल के विचार को आपने सामने लाया है। इसकी क्या संभावनाएं है?
जवाब: हमने होशंगाबाद में अंतरवर्ती फसल के रूप में इसका प्रयोग किया था। रबी सीजन में छिंदवाड़ा में इसकी बेहतर संभावनाएं है,जहां चना,गेहूं फसलों के बीच में इसे बोया जा सकता है। इसका मूल्य 6000 रुपए क्विंटल से अधिक है। इससे किसान दूसरी फसल के रूप में आय अर्जित कर सकेंगे। इसके बीज भी हम उपलब्ध कराएंगे।
सवाल: आम व्यक्ति इस समय अच्छी क्वालिटी का भोजन और सब्जी चाहते है। यह कैसे संभव होगा?
जवाब: यह आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत जैविक खेती के प्रोत्साहन से संभव होगा। इसके लिए हर किसान को अपने लिए कुछ एकड़ में जैविक फसल और सब्जियां लेकर शुरुआत करनी होगी। इसके बाद फिर बड़ा उत्पादन लिया जा सकता है। इससे खेती की लागत भी कम हो सकेगी।
सवाल: हाल ही में एनपीके खाद की कीमत महंगी होने से खेती पर क्या असर होगा?
जवाब: छिंदवाड़़ा में छोटे किसान ज्यादा है। निश्चित ही इससे खेती की लागत बढ़ेगी इसलिए आत्मनिर्भर भारत में जैविक खेती को प्रोत्साहित करना है। इससे किसान अपने लिए बेहतर कर पाएंगे।
सवाल: छिंदवाड़ा जिले की खेती के बारे में क्या विचार है और भविष्य में क्या प्लानिंग है?
जवाब: छिंदवाड़ा में न केवल फसल बल्कि सब्जियां और उद्यानिकी फल का रकबा है। इस पर बेहतर करनेवाले किसानों को देश का प्रतिष्ठित कृषि कर्मण अवार्ड दिलाना उनका लक्ष्य होगा। खेती में नए विचार और तकनीक जरूरी है। इस पर हम कृषि वैज्ञानिकों के साथ आगे बढ़ेंगे।

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