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विडम्बना...प्रभारी मंत्री की घोषणा के बाद भी नहीं खुल सकी गुड़ मण्डी

locationछिंदवाड़ाPublished: Oct 12, 2022 08:54:49 pm

Submitted by:

manohar soni

अगले माह नवम्बर से किसान और गृह उद्योग बनाने लगेंगे गुड़

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छिंदवाड़ा. खेतों में लहलहा रहा गन्ना फिर प्रभारी मंत्री कमल पटेल की गुड़ मण्डी की घोषणा की याद दिलाने लगा है, जिस पर एक साल बाद भी अमल नहीं हो पाया है। अगले माह नवम्बर से गांव-गांव गुड़ का उत्पादन शुरू हो जाएगा, तब एक अदद बाजार की जरूरत होगी। ऐसे में किसान अभी से ही कृषि उपज मण्डी की भांति ऐसी संस्था की स्थापना की मांग कर रहे हैं।
देखा जाए तो जिले में किसान 11 हजार हैक्टेयर में करीब 88 लाख क्विंटल गन्ना का उत्पादन करते हैं। अब तक चौरई के पास चिखली हरनाखेड़ी में शुगर मिल होने पर 10 लाख क्विंटल अनुमानित गन्ना का उपयोग शक्कर उत्पादन में हो पाता था। अब घोरावाड़ी की शुगर मिल के इस बार खुलने के आसार है। इससे शक्कर में गन्ना की खपत 20 लाख क्विंटल होने का अनुमान है। शेष गन्ना का उपयोग किसान और गृह उद्योग गुड़ बनाते में करते हैं। इस फसल का रकबा खासकर चौरई और चांद क्षेत्र में ज्यादा है। जबकि बिछुआ, अमरवाड़ा, छिंदवाड़ा और जुन्नारदेव में फसल कम हैं। नवम्बर माह में यह सालाना फसल खेतों से कट जाएगी। गांव-गांव गुड़ के घान चलने लगेंगे।
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एक हैक्टेयर में होता है 8 सौ क्विंटल गन्ना
ेकृषि विभाग के रिकार्ड में गन्ना की उत्पादकता प्रति हैक्टेयर 800 क्विंटल है। चौरई क्षेत्र में केवल एक शुगर मिल है। दूसरी अभी शुरू नहीं हो पाई है। शक्कर उत्पादन में केवल 20 फीसदी गन्ना की खपत है। जबकि 80 फीसदी गन्ना से गांव-गांव गृह उद्योग और किसान गुड़ बनाते हैं। जुन्नारदेव क्षेत्र के किसान अपने गन्ना को बैतूल की शुगर मिल पहुंचाते हैं।
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बाजार में 40 रुपए, किसान को 25 रुपए भाव
बाजार में इस समय गुड़ का चिल्हर भाव 40 रुपए किलो है। किसान जब व्यापारियों को बेचते हैं तो उसका भाव 20 से 25 रुपए किलो आ जाता है। इसके व्यापारी भी सीमित है। किसानों का कहना है कि यदि सरकार किसानों की आय में वृद्धि करना चाहती है तो उसे छिंदवाड़ा में गुड़ मण्डी की स्थापना की मांग करनी चाहिए।
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प्रभारी मंत्री ने की थी गुड़ मंडी की घोषणा
पिछले साल 2021 में प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने छिंदवाड़ा दौरे पर भाजपा किसान मोर्चा के कार्यक्रम में गुड़ मण्डी की घोषणा क ी थी। इसके बाद घोषणा पर काम नहीं हो पाया। मंत्री ने कभी इसकी सुधि नहीं ली है। किसान संगठन इस पर पुन: शासन-प्रशासन का ध्यान दिला रहे हैं।
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बोली न लगने से मिलते हैं कम भाव
किसान संघ के उपाध्यक्ष एवं नेर के गुड़ उत्पादक रामभरोस पटेल का कहना है कि छिंदवाड़ा में एक गुड़ मण्डी की जरूरत है। मण्डी न होने से उत्पादक सीधे व्यापारियों को गुड़ बेचते हैं। बोली न लगने पर कम भाव मिलते हैं। यदि व्यवस्थित गुड़ मण्डी बन जाए तो बाहर के व्यापारी भी आएंगे और किसानों को बेहतर भाव मिल पाएगा। इसके साथ ही आसपास के जिलों में भी गुड़ का कारोबार फैलेगा।
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इनका कहना है...
छिंदवाड़ा में गुड़ मण्डी की स्थापना पर हाल ही में शासन-प्रशासन को ज्ञापन दे चुके हैं। इस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया है। एक मण्डी बन जाए तो गुड़ उत्पादक किसानों को बेहतर भाव मिल पाएगा।
-मेरसिंह चौधरी, अध्यक्ष भारतीय किसान संघ
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चौरई की गुड़ मण्डी बंद हो गई है। इस स्थिति में उत्पादक किसानों की दृष्टि से एक व्यवस्थित मण्डी और गुड़ को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने की मांग को पूरा किया जाना चाहिए।
-शैलेन्द्र रघुवंशी, पूर्व उपाध्यक्ष जिला पंचायत।
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गुड़ मण्डी का प्रस्ताव बनाकर शासन स्तर पर भेजा गया है। इसकी मंजूरी आती है तो कुसमैली कृषि उपज मण्डी के एक शेड को आरक्षित कर उसे शुरू कराया जा सकता है।
-सुरेश परते, सचिव कृषि उपज मण्डी कुसमैली

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