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Irony: योजना का पलीता, सीएम के जिले में भटक रहे लोग

locationछिंदवाड़ाPublished: Jan 29, 2020 01:19:13 pm

Submitted by:

prabha shankar

Irony: परिजन की मृत्यु सहायता राशि के लिए भटक रहे हितग्राही

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Irony: The plan fades, people wandering in CM’s district

छिंदवाड़ा/ सरकार परिवर्तन के साथ सम्बल योजना का नामकरण नया सवेरा जरूर कर दिया, लेकिन इसकी खामियों को अभी तक दूर नहीं किया गया है। हालत यह है कि परिजन की मृत्य पर मिलने वाली सहायता राशि छह माह बाद भी नहीं मिल सकी है। इसके लिए लोग अभी भी नगर निगम और जनपद पंचायतों के चक्कर लगा रहे हैं। श्रम विभाग द्वारा दिसम्बर में सीधे सहायता राशि हितग्राहियों के खाते में दिए जाने के निर्देश दिए गए। उसका पालन न होने से हताशा बनी हुई है।
नगर निगम कार्यालय में सम्बल योजना देख रही शाखा में आए दिन इसकी शिकायत करते लोग मिल जाएंगे। कर्मचारी खुद स्वीकार कर रहे हैं कि नगर निगम में अंत्येष्टि और अनुग्रह सहायता के 112 केस ऐसे हैं, जिनके मुखियाओं का निधन हो चुका है। ये परिजन हर दिन योजना कार्यालय में आकर दस्तक देते हैं और राशि आने की पूछताछ कर रहे हैं। पूरे जिले के नगरीय और ग्रामीण इलाकों में ऐसे केस की संख्या 350 है। पिछले माह दिसम्बर में इन केस में सहायता देने 6.50 करोड़ रुपए का बजट मांगा गया था।
श्रम विभाग के कर्मचारी अब सीधे ऑनलाइन भुगतान व्यवस्था से स्थानीय स्तर से कोई जानकारी देने से इनकार कर रहे हैं। इससे सम्बल के हितग्राहियों को वास्तविक भुगतान की जानकारी नहीं मिल पा रही है। उनके बैंक खातों में भी राशि नहीं पहुंची है।

पांच हजार से लेकर दो लाख की मदद
शिवराज सरकार के समय शुरू की गई सम्बल योजना में गरीब परिवारों को परिजन की मृत्यु पर पांच हजार रुपए की अंत्येष्टि सहायता व सामान्य मृत्यु पर अनुग्रह सहायता दो लाख रुपए तथा दुर्घटना में मृत्यु होने पर चार लाख रुपए की सहायता का प्रावधान किया गया था। यह योजना कमलनाथ सरकार के आने पर नया सवेरा योजना में परिवर्तित हो गई है। इस योजना के अधीन आर्थिक सहायता के केस जिले में नगर निगम, नगरपालिका, नगर पंचायत व ग्राम पंचायत तथा जनपद पंचायत में बनाए गए हैं।

नया सवेरा का शुरू नहीं हुआ पंजीयन
नया सवेरा योजना के सत्यापन में जिले से 207504 हितग्राहियों को अपात्र पाया गया था। उनके नाम भी हटाए गए हैं। फिर भी नए वास्तविक हितग्राहियों के पंजीयन के लिए पोर्टल शुरू नहीं किया गया है। इससेजरूरतमंद नगर निगम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। उनका कहना है कि योजना की शुरुआत में पोर्टल खुला था। उसके बाद उसे हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है। लोक सेवा केंद्रों से भी लौटना पड़ता है।

नया सवेरा के हितग्राहियों को आर्थिक मदद के पैंडिंग केस के लिए चार बार श्रम विभाग को पत्र लिखा जा चुका है। इसकी समीक्षा कर पुन: ध्यान आकर्षित किया जाएगा।
इच्छित गढ़पाले, आयुक्त नगर निगम।

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