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बारिश के मौसम में भी फसलों की सिंचाई करने के लिए मजबूर किसान

locationछिंदवाड़ाPublished: Jul 14, 2019 11:19:32 am

Submitted by:

Rajendra Sharma

दम भर रही खरीफ की फसल

crop

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छिंदवाड़ा/सोनाखार. मानसून की दस्तक 15 जून को मानी जाती है, किन्तु करीब एक माह बाद भी जिले में पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। नदी-नाले, तालाब सूखे पड़े हैं। जिन किसानों ने खरीफ सीजन की फसलों की बोवनी कर दी थी, वह मुरझानेे लगी हैं। ऐसे में किसान सिंचाई करके किसी तरह फसलों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
आषाढ़ कामाह बीतने को है, किन्तु बरसात न होने का दंश किसान झेल रहे हैं। आलम यह है कि किसान मजबूरी में बारिश के अभाव में अपनी मक्का की खड़ी फसल की स्प्रिंकलर सेट के माध्यम से ंिसंचाई कर रहे हैं।
दरअसल, अब तक बरसात पर्याप्त मात्रा में न होना अत्यंत चिंतनीय विषय है। किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ तौर पर दिखाई देने लगी हैं। किसानों की खरीफ की फसलें मुरझाने लगी हैं । जिन किसानों के पास पानी हैं वह स्प्रिंकलर सेट के माध्यम से अपनी फसलों की सिंचाई कर रहे हैं, परन्तु जिन किसानों के पास सिंचित भूमि नहीं है वह परेशान हैं, उन्हें अपनी फसलों के लिए बारिश का बेसर्बी से इंतजार है।
जिले में खरीफ मौसम में मुख्य रूप से मक्का, सोयाबीन, तुअर, कपास इत्यादि की फसलें बोई
जाती हैं, परन्तु इस साल बारिश कम होने से सभी किसानों को चिंता सता रही है। आलम यह है कि लोग अच्छी बारिश के लिए पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
अर्मी वर्म कीट के प्रकोप से फसल बचाने का उपाय

फॉल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप से फसल बचाने के लिए इमामेक्टिन बेन्झोएट, लेम्बडासायलोथ्रीन स्पाइनोसेड, इंडोक्साकार्ब, क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल दवाइयां उपयुक्त हैं। कहा जा रहा है कि फिलहाल कृषि विभाग ने इमामेक्टिन बेन्झोएट सभी विकासखंडों में पहुंचा दी है जो 50 प्रतिशत अनुदान पर दी जा रही है।

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