बुनियादी सुविधाओं के मोहताज इस जंगल मद की जमीन पर अतिक्रमण कर बसी बस्तियों के लोग सालों बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसते रहे। जैसे-तैसे कुछ स्थानों में नगरीय और पंचायत निकायों ने ये सुविधाएं मुहैया करा दी, लेकिन सरकारी पट्टा नहीं मिल पाने से कई हितग्राहीमूलक योजनाओं से वंचित रह गए।
पीएम आवास से हो गए वंचित इन बस्तियों के सरकारी पट्टा न बन पाने से स्थानीय रहवासी प्रधानमंत्री आवास के पक्के मकानों से वंचित रह गए। उनकी झुग्गी झोपडि़यों को कभी शायद ये फायदा मिल नहीं पाएगा। इसके आवेदन कई बार एसडीएम और कलेक्ट्रेट कार्यालय में पड़े हुए हैं।
चार साल पहले के कब्जे में पेंच शासन स्तर पर वर्ष 2014 के पहले के सरकारी जमीन के कब्जे को मान्य करते हुए सरकारी पट्टा देने का नियम बनाया गया था। नजूल और राजस्व की जमीन के 29 सौ प्रकरणों में ही शहरी इलाकों के पट्टे बंट पाए। शेष केस छोटे बड़े झाड़ के जंगल की भूमि के होने के कारण लटके हुए हैं, जबकि कम से कम दस हजार से ज्यादा सरकारी पट्टे बांटने की जरूरत थी। ग्रामीण इलाकों में इसकी शुरुआत ही नहीं हो सकी है।