पांच में से दो विद्यार्थी छोड़ेेगे कॉलेज
सत्र 2019-20 में पीजी कॉलेज में जम्मू और कश्मीर से पांच विद्यार्थियों ने दाखिला लिया था। इसमें से एक बीए, एक कॉमर्स और तीन बीएससी संकाय में थे। अब इसमें से दो विद्यार्थियों ने भाषा की समस्या होने की वजह से कॉलेज छोडऩे का फैसला लिया है।
सत्र 2019-20 में पीजी कॉलेज में जम्मू और कश्मीर से पांच विद्यार्थियों ने दाखिला लिया था। इसमें से एक बीए, एक कॉमर्स और तीन बीएससी संकाय में थे। अब इसमें से दो विद्यार्थियों ने भाषा की समस्या होने की वजह से कॉलेज छोडऩे का फैसला लिया है।
कॉलेज को मिलती है मानिटरिंग की जिम्मेदारी
जम्मू और कश्मीर के विद्यार्थियों को दाखिला देने के बाद कॉलेज की जिम्मेदारी इनकी मानिटङ्क्षरग की रहती है। हालांकि कॉलेज इन विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा की समझ के लिए अलग से कोचिंग भी देने का प्रयास करता है।
जम्मू और कश्मीर के विद्यार्थियों को दाखिला देने के बाद कॉलेज की जिम्मेदारी इनकी मानिटङ्क्षरग की रहती है। हालांकि कॉलेज इन विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा की समझ के लिए अलग से कोचिंग भी देने का प्रयास करता है।
हिन्दी भाषा के लिए दे रखी है जिम्मेदारी
जम्मू और कश्मीर के विद्यार्थियों की देखरेख के लिए नियुक्त मेंटर्स पीजी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. बीके डेहरिया ने बताया कि जम्मू के विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा अच्छे से समझ में आती है। उन्हें पढ़ाई में दिक्कत नहीं होती। समस्या कश्मीर के विद्यार्थियों के साथ होती है। इसके लिए हिन्दी विभाग को जिम्मेदारी भी दे रखी है।