अस्पताल परिसर में मार्गदर्शक बोर्ड लगे है या नहीं देखा, जननी सुरक्षा योजना का प्रचार-प्रसार, पोस्टर, दीवार लेखन आदि की जानकारी जुटाई गई। जानकारी के अनुसार नेशनल मूल्यांकन के लिए प्रदेश में 121 जिला अस्पताल चयनित हुए हैं, जिनमें छिंदवाड़ा का नाम भी शामिल हैं। बताया जाता है कि उक्त असेसमेंट में 70 प्रतिशत से अधिक अंक मिलने पर संस्था को नेशनल सर्टिफिकेट के साथ-साथ पुरस्कार भी मिलेगा।
मरीजों से पूछा बाहर से तो नहीं मंगाई जाती दवा –
गायनिक विभाग में भर्ती मरीजों से पूछा गया कि बाहर से दवा तो नहीं खरीदनी पड़ती है या उपचार के बदले कोई पैसा मांगता हो तथा निर्धारित मीन्यू के तहत नाश्ता और भोजन दिया जाता है या नहीं, जिस पर मरीजों ने संतोषजनक जवाब दिया। बताया जाता है कि नेशनल मूल्यांकन में मरीजों का जवाब 75 प्रतिशत मिलना अनिवार्य हैं, तभी सफलता मिलती हैं।
मरीज के उपचार प्रबंधन की ली जानकारी –
जिला अस्पताल में रैफर होकर पहुंचने वाले मरीजों का उपचार प्रबंधन किस तरह किया जाता है तथा गंभीर स्थिति में क्या उपाय किए जाते है, यह पूछा गया। वहीं जिला अस्पताल से उच्चस्तरीय उपचार के रैफर दर पूछी गई, जिसमें 1 प्रतिशत बताया गया।
इन्होंने किया वर्चुअल एसेसमेंट –
मिशन लक्ष्य के तहत जिला अस्पताल का वर्चुअल एसेसमेंट केरल से सीनियर मेडिकल एडमिनिस्टे्रटर डॉ. केवी बीना सीनियर मेडिकल एडमिनिस्टे्रटर, तमिलनाडु से एनएचएम नोडल अधिकारी डॉ. रियाज अहमद तथा हिमाचल प्रदेश से असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुनीत ए गंजू शामिल थे। वहीं भोपाल से आरएमएनसीएच कंसल्टेंट डॉ. पल्लवी सोनी और सिवनी से एमएच कॉर्डिनेटर कविता खोब्रागड़े ने सहयोग दिया।
इनकी रही अहम भूमिका –
सिविल सर्जन डॉ. पी. कौर गोगिया, आरएमओ डॉ. सुशील दुबे, डॉ. सुशील राठी, मिशन लक्ष्य की नोडल अधिकारी डॉ. कंचन दुबे, डॉ. एस. मोइत्रा, डॉ. पी. श्रीवास्तव, डॉ. स्वेता पाठक, डॉ. कृति शर्मा, डॉ. डी. महाजन, डॉ. कनि मोझी समेत नर्सिंग अधीक्षक कल्पना उइके, एमएच कॉर्डिनेटर स्वर्णलता यादव, स्मृति टाइटश, वंदना परिहार, एन. खान, भावना मोहोड़ आदि शामिल हैं।