पुलिस की वर्दी पर लगने वाला बैंच, नेम प्लेट, जूते और बेल्ट सबकुछ बाजार में बड़ी आसानी से रेडिमेट मिल रहा है। गौर करने बात यह भी है कि कुछ दुकान संचालक इन्हें किराए पर भी मुहैया कराते हैं, इस्तेमाल करने के बाद लौटाया भी जा सकता है। तीन से पांच हजार रुपए में एक पुलिसकर्मी की वर्दी से लेकर अन्य सामग्री शहर की तीन दुकानों पर मिल रही है। किराए पर लेने की बात करें तो दिन के हिसाब से किराया देकर वर्दी ली जा सकती है। एक दिन का ढाई सौ रुपए शुल्क लिया जाता है, इस हिसाब से जितने दिन वर्दी रखेंगे उतनी रकम देनी पड़ेगी। पहले रुपए जमा कराए जाते हैं फिर ड्रेस दी जाती है। यह सिलसिला सालों पुराना है और कई बार वर्दी पहने हुए फर्जी पुलिसकर्मी पकड़े भी जा चुके हैं। विभागीय अधिकारी आज तक दुकान संचालकों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं न तो किसी प्रकार का मापदण्ड तय किया है।
यह करना होगा
पुलिस की वर्दी, कैप, स्टार, बेल्ट, जूते और डोरी बेचने वालों के लिए मापदण्ड तय किया जाए। पुलिस का आइडी कार्ड जिसके पास हो उसके ही सामग्री दी जाए। किसी प्रकार का नाटक या फिर स्कूल में बच्चों को कार्यक्रम पेश करने के लिए भी कई बार इन सामग्रियों की जरूरत होती है। स्कूल प्रबंधन अपना पहचान पत्र दें तब उन्हें सामग्री उपलब्ध कराई जानी चाहिए। वर्दी खरीदने के लिए पहुंचने वाले व्यक्ति से उसकी पूरी जानकारी मांगी जाए और पहचान पत्र लें तो वर्दी का गलत इस्तेमाल नहीं हो पाएगा।
ऐसे हो रहा दुरुपयोग
बटकाखापा थाना क्षेत्र के ग्राम निर्भयपुर निवासी चमारी उर्फ कृष्णा धुर्वे (21) हुबहू पुलिस की वर्दी पहनकर अनखावाड़ी के साप्ताहिक बाजार में 26 अक्टूबर की दोपहर में घूम रहा था। पूछताछ तो चमारी धुर्वे ने अपना नाम कृष्णा बताया और आमला में एएसआइ के पद पर पदस्थ होने की जानकारी दी। वर्दी पर नाम की प्लेट लगी थी जिसमें एएसआइ का क्रमांक 199 लिखा मिला। इससे वह पकड़ में आ गया, क्योंकि एएसआइ का क्रमांक नहीं लिखा होता। यह पहला मामला नहीं है इसके पहले भी कई लोग इसी तरह पकड़े गए हैं।