एक लाख 99 हजार तक नकद भुगतान
मंडी में भुगतान के नियमों के अनुसार एक अनुबंध में किसान को एक लाख 99 हजार रुपए तक का भुगतान नकद दिया जाता है। उससे अधिक का भुगतान ही अकाउंट के माध्यम से दिया जा सकता है। यदि यह नियम 20-30 हजार रुपए तक का होता तो किसान के अकाउंट में सारी राशि होती। वहीं किसान भी पूरी राशि नकद लेने की मंशा से अपनी उपज के कई ढेर बना देता है ताकि दो-तीन अनुबंध के कारण करीब-करीब सारी राशि नकद ही मिल जाए। गौरतलब है कि कुसमेली मंडी में कई बार लाखों-करोड़ों तक का लेन-देन होता है।
मंडी परिसर भी नहीं है सुरक्षित
मंडी परिसर के अंदर किसान एवं व्यापारी सुरक्षित नहीं हैं, खास तौर पर रात में। दरअसल परिसर के अंदर कोई भी व्यक्ति किसी भी समय मौजूद रह सकता है। मंडी के सामने शराब दुकान का मुख्य द्वार भी बना लिया गया है। शराब पीने का शौकीन हो या न हो, कोई भी वहां बेवजह खड़ा रह सकता है। इसके साथ ही अगल-बगल अघोषित अहाते के रूप में विकसित हो चुके कुछ होटलों पर बिना काम बैठने वालों का जमावड़ा लगा रहता है। इन अव्यवस्थाओं की आड़ में रुकने का बहाना लुटेरों एवं रैकी करने वालों को भी मिल जाता है।
मंडी में बैंक की व्यवस्था नहीं
कुसमेली मंडी परिसर में करीब दो साल से किसी भी बैंक की शाखा नहीं है। पूर्व में इलाहाबाद बैंक की एक शाखा खुली थी, लेकिन अन्य बैंक में मर्ज होने के बाद से वह भी बंद हो गई। इसके बाद से किसी बैंक ने परिसर में शाखा खोलने के लिए रुचि नहीं ली। यदि परिसर में नाइट शिफ्ट वाला बैंक मौजूद होता तो किसान को अपने साथ नकदी ले जाने की जरूरत नहीं होती। मंडी परिसर में ही वह अपने अकाउंट में राशि जमा कर सकता था।
मंडी परिसर से लेकर शहर की सडक़ों तक अंधेरा रहता है। रोशनी के लिए समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा जाएगा। मंडी गेट के सामने शराब की दुकान भी आने वालों की आड़ बन जाती है। बैंकों को परिसर में शाखा खोलने का प्रस्ताव देने के बावजूद वे शाखा नहीं खोल रहे।
-सुरेश कुमार परते, सचिव कृषि उपज मंडी, कुसमेली