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Kusmeli Mandi: करोड़ों के लेन-देन पर लुटेरों की नजर

locationछिंदवाड़ाPublished: May 27, 2022 10:31:24 am

Submitted by:

prabha shankar

मंडी परिसर से शहर तक अंधेरे का खौफ, मंडी परिसर दूसरी ओर से खुला हुआ, मुख्य गेट के सामने शराब दुकान असामाजिक तत्वों को मिल जाता है रैकी का मौका, अवसर देखकर दे सकते हैं किसी भी वारदात को अंजाम

छिंदवाड़ा। कुछ दिन पहले सिवनी प्राणमोती के समीप एक किसान लुट गया। आरोपियों ने अंधेरे का फायदा उठाया और किसान अखिलेश पाल से करीब चार लाख रुपए लूट लिए। तब रात के करीब आठ बजे थे। घटनास्थल पर यानी मंडी से सिवनी प्राणमोती की सडक़ पर रोशनी की व्यवस्था न के बराबर है। और भी कई ऐसे कारण हैं जिसकी वजह से मंडी से बाहर निकलते हुए कई किसान अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई अपने साथ रखने में डरते हैं।

पत्रिका पड़ताल में कुसमेली मंडी से जुड़े ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं जिनमें किसान और व्यापारियों को नकदी साथ रखने में कई तरह के खतरे हैं। हालांकि इन खतरों से बचने के लिए कई व्यापारी पहले से ही गंज से किसानों को भुगतान करते हैं, लेकिन पहले गांधीगंज से भुगतान ले चुके किसान को बाद में मंडी आकर अन्य भुगतान लेना ही मंहगा पड़ गया।
किसान अखिलेश पाल ने पहले गांधीगंज और एक मिल से भुगतान लिया और बाद में मंडी पहुंचकर भुगतान लिया। लौटते समय आरोपियों ने इसी राशि को लूट लिया। बताया जा रहा है कि किसान का पहले से ही पीछा किया जा रहा था। आरोपियों ने अंधेरा एवं सुनसान जगह देखकर हमला किया और रुपए छीनकर फरार हो गए।


एक लाख 99 हजार तक नकद भुगतान
मंडी में भुगतान के नियमों के अनुसार एक अनुबंध में किसान को एक लाख 99 हजार रुपए तक का भुगतान नकद दिया जाता है। उससे अधिक का भुगतान ही अकाउंट के माध्यम से दिया जा सकता है। यदि यह नियम 20-30 हजार रुपए तक का होता तो किसान के अकाउंट में सारी राशि होती। वहीं किसान भी पूरी राशि नकद लेने की मंशा से अपनी उपज के कई ढेर बना देता है ताकि दो-तीन अनुबंध के कारण करीब-करीब सारी राशि नकद ही मिल जाए। गौरतलब है कि कुसमेली मंडी में कई बार लाखों-करोड़ों तक का लेन-देन होता है।

मंडी परिसर भी नहीं है सुरक्षित
मंडी परिसर के अंदर किसान एवं व्यापारी सुरक्षित नहीं हैं, खास तौर पर रात में। दरअसल परिसर के अंदर कोई भी व्यक्ति किसी भी समय मौजूद रह सकता है। मंडी के सामने शराब दुकान का मुख्य द्वार भी बना लिया गया है। शराब पीने का शौकीन हो या न हो, कोई भी वहां बेवजह खड़ा रह सकता है। इसके साथ ही अगल-बगल अघोषित अहाते के रूप में विकसित हो चुके कुछ होटलों पर बिना काम बैठने वालों का जमावड़ा लगा रहता है। इन अव्यवस्थाओं की आड़ में रुकने का बहाना लुटेरों एवं रैकी करने वालों को भी मिल जाता है।

मंडी में बैंक की व्यवस्था नहीं
कुसमेली मंडी परिसर में करीब दो साल से किसी भी बैंक की शाखा नहीं है। पूर्व में इलाहाबाद बैंक की एक शाखा खुली थी, लेकिन अन्य बैंक में मर्ज होने के बाद से वह भी बंद हो गई। इसके बाद से किसी बैंक ने परिसर में शाखा खोलने के लिए रुचि नहीं ली। यदि परिसर में नाइट शिफ्ट वाला बैंक मौजूद होता तो किसान को अपने साथ नकदी ले जाने की जरूरत नहीं होती। मंडी परिसर में ही वह अपने अकाउंट में राशि जमा कर सकता था।

मंडी परिसर से लेकर शहर की सडक़ों तक अंधेरा रहता है। रोशनी के लिए समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा जाएगा। मंडी गेट के सामने शराब की दुकान भी आने वालों की आड़ बन जाती है। बैंकों को परिसर में शाखा खोलने का प्रस्ताव देने के बावजूद वे शाखा नहीं खोल रहे।
-सुरेश कुमार परते, सचिव कृषि उपज मंडी, कुसमेली

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