एक ओर कलेक्टर के निर्देश पर निगम आयुक्त प्रभारी अधिकारी के रूप में लगातार सुधार का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर हर दिन मरीजों को बदइंतजामी का दंश झेलते देखा जा सकता है। जानकारी के अनुसार अमरवाड़ा विकासखंड के ग्राम चांदगांव निवासी श्यामो बाई पति भारोमल (60) 16 सितम्बर को जिला अस्पताल के महिला मेडिकल वार्ड में भर्ती हुई थी। डॉक्टरों की सलाह पर मरीज की ब्लड, एक्स-रे समेत अन्य जांच कराई जानी थी।
स्टे्रचर की व्यवस्था न होने पर परिजन ने चादर की पालकी बनाई और खुद ही मरीज को ब्लड-एक्स-रे जांच विभाग तक ले गए।
पीडि़तों ने बताया कि उन्होंने महिला मेडिकल वार्ड से मदद मांगी थी, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी तो मजबूरी में यह करना पड़ा।
पीडि़तों ने बताया कि उन्होंने महिला मेडिकल वार्ड से मदद मांगी थी, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी तो मजबूरी में यह करना पड़ा।
इस संदर्भ में प्रभारी अधिकारी इच्छित गढ़पाले ने बताया कि मामले की जानकारी ली जाएगी तथा दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई
की जाएगी। परिजन के अनुसार पीडि़त महिला बोल-सुन नहीं सकती है। उपचार के लिए पहले उन्हें अमरवाड़ा अस्पताल लेकर गए थे। जहां से उन्हें जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया। वार्ड में कार्यरत स्टाफ भी कोई मदद नहीं करता है और न ही कोई मार्गदर्शन देता है। चादर की पालकी से उन्हीं के सामने से मरीज को लेकर गए, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।
की जाएगी। परिजन के अनुसार पीडि़त महिला बोल-सुन नहीं सकती है। उपचार के लिए पहले उन्हें अमरवाड़ा अस्पताल लेकर गए थे। जहां से उन्हें जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया। वार्ड में कार्यरत स्टाफ भी कोई मदद नहीं करता है और न ही कोई मार्गदर्शन देता है। चादर की पालकी से उन्हीं के सामने से मरीज को लेकर गए, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।
लिया जाता है शुल्क
रोगी कल्याण समिति के संचालन तथा कर्मचारियों के वेतन के लिए जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों से ओपीडी पंजीयन के नाम पर दस तथा भर्ती शुल्क पचास रुपए वसूला जाता है। इसके बावजूद दूर-दराज से आने वाले मरीजों को उचित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।