Lockdown-2: न गेहूं न चावल, कैसे मिटेगी गरीबों की भूख
Lockdown-2: राशन दुकानों में कम पहुंचा गेहूं-चावल, पीएम गरीब कल्याण की राह मुश्किल, सिवनी से नहीं मिला चावल, गेहूं के लिए लिखा पत्र

छिंदवाड़ा/ कोरोना संक्रमणकाल में जिले की राशन दुकानों में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गेहंू-चावल का आवंटन कम पहुंचा है। इससे गरीब और जरूरतमंदों को दुकानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। खाद्य विभाग ने भी सिवनी से चावल का आवंटन नहीं मिलने और गेहूं की कमी की बात स्वीकार की है। विभागीय अधिकारियों ने इसके लिए राज्य शासन को भी पत्र लिखा है।
विभागीय जानकारी के अनुसार लॉकडाउन के बाद से गरीब हितग्राहियों को तीन माह का राशन एकमुश्त बांटा जा चुका है। इसके बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत अप्रैल में गरीबों को पांच किलो चावल मुफ्त में बांटने के आदेश आए तो वहीं 24 हजार पात्रता पर्ची से वंचित गरीबों को राशन वितरण के निर्देश भी राज्य शासन द्वारा दिए गए। इसके लिए 81 हजार क्विंटल चावल की आवश्यकता थी। इस पर उपलब्ध 45 हजार क्विंटल चावल का वितरण कराया गया है। इसके बाद चावल की आवक सिवनी से नहीं हो पा रही है। इसी तरह अप्रैल में जिले में 70 हजार क्विंटल गेहूं की जरूरत है। कुछ गेहूं-चावल बांटा भी गया है। इसके लिए भी शासन से पत्राचार किया गया है।
जिला आपूर्ति अधिकारी जीपी लोधी का कहना है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और पात्रता पर्ची वाले हितग्राहियों के लिए गेहूं-चावल आवंटन के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। इसकी आपूर्ति होने पर राशन का शेष वितरण शुरू किया जाएगा।
बायोमैट्रिक मशीन से वितरण के विरोध में आए राशन दुकानदार
कोरोना संक्रमणकाल में राशन दुकानों में बायोमेट्रिक मशीन से सामान्य उपभोक्ताओं को ऑनलाइन पीओएस मशीन से अनाज वितरण के आदेश दिए गए हैं। इसके विरोध में राशन दुकानदार कल्याण संघ के सदस्य उठ खड़े हुए हैं। संघ अध्यक्ष अशोक ठाकुर समेत अन्य ने खाद्य अधिकारी को दिए ज्ञापन में कहा कि वितरण व्यवस्था ऑनलाइन होने से उपभोक्ताओं के आधार सत्यापन हेतु पीओएस मशीन में अंगूठा लगवाना होता है। कई बुजुर्ग एवं महिलाओं के आधार सत्यापन के लिए उनके हाथ पकड़ कर सही प्रकार से फिं गर लगवाना पड़ता है। इससे दुकानदारों को कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार रहेगा और फि र संक्रमण फैलने की आशंका है। राशन दुकानदार पीओएस मशीन से ऑनलाइन खाद्यान्न वितरण करने में असमर्थ हैं। उन्होंने शासन से ऑफलाइन वितरण करने की अनुमति मांगी है।
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