
Lockdown: 24 thousand needy wandering for ration in former CM district
छिंदवाड़ा/ कोरोना लॉकडाउन के समय मई में पात्रता पर्ची से वंचित 24 हजार परिवारों को एक बार पांच किलो राशन दे दिया गया। उसके बाद उन्हें भटकने के लिए छोड़ दिया। स्थिति यह है कि दोबारा रियायती गेहूं-चावल की आस में ये परिवार अपनी मजदूरी छोडकऱ कलेक्ट्रेट के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि भोपाल से ही आदेश नहीं आए। इसके चलते वे कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं।
पूरे जिले में इस समय 715 राशन दुकानों से 3.50 लाख परिवार रियायती दर पर अनाज और केरोसिन ले रहे हैं। इसके अलावा वर्ष 2017 से लगातार गरीब रेखा के राशन कार्ड लोग बनवा रहे हैं, लेकिन उनकी पात्रता पर्ची भोपाल से जनरेट नहीं हो पा रही है। सरकार अपने पास राशन का सीमित कोटा बता रही है। पात्रता पर्ची से वंचित परिवारों की संख्या 24 हजार पहुंच गई है। कोरोना लॉकडाउन के समय राज्य सरकार ने इन परिवारों की सूची खाद्य आपूर्ति विभाग को दी थी। जिसके आधार पर मई में चार किलो गेहूं और एक किलो चावल इन परिवारों को मुफ्त दिया गया। इसके बाद शासन ने इन परिवारों की सुधि नहीं ली।
तीन साल से भटकने पर भी नहीं आया नाम
जून के बाद अब जुलाई में ऐसे परिवार प्रतिदिन कलेक्ट्रेट आकर चक्कर लगा रहे हैं। खाद्य आपूर्ति शाखा के पास उन्हें बैठे देखा जा सकता है। सुकलूढाना से आई महिला रामवती मर्सकोले का कहना था कि पिछले तीन साल से पात्रता पर्ची के लिए चक्कर लगाते-लगाते थक गए। अभी तक उनका नाम नहीं आया है। इससे राशन दुकान में अनाज नहीं मिलता है। यही हाल दूसरे गरीब परिवारों के हंै, जिन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
अपात्रों के कारण गरीबों की फजीहत
पूरे जिले में 25 कैटेगरी में राशन के पात्र परिवारों को शामिल किया गया है। इसके चलते हालत यह है कि जिले की 22 लाख आबादी में से 16 लाख के नाम राशन के पात्र में शामिल हैं। इनमें कई धनाढ्य और रसूखदार परिवार शामिल हैं। जिनके नाम न काटने की वजह से जरूरतमंद गरीब परिवारों को फजीहत हो रही है। इस पर कोई जांच अभियान अभी तक नहीं चलाया गया है।
Published on:
09 Jul 2020 05:49 pm
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