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Lockdown 4.0: बाजार खुलते ही गरीब ‘आत्मनिर्भर’, आमदनी से जलाया घर का चूल्हा

locationछिंदवाड़ाPublished: May 22, 2020 05:49:59 pm

Submitted by:

prabha shankar

Lockdown 4.0: पटरी पर जनजीवन: नगर निगम के सिर से हटा दस हजार भोजन पैके ट का बोझ, लोग खुद कर रहे लेने से मना

Lockdown 4.0: Poor 'self-reliant' as soon as market opens

Lockdown 4.0: Poor ‘self-reliant’ as soon as market opens

छिंदवाड़ा/ कोरोना लॉकडाउन 4.0 में बाजार खुलने से आम जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है। इससे गरीब और कमजोर परिवार के सदस्य फिर से मजदूरी में जाने लगे हैं। उनकी दिहाड़ी आमदनी से घर का चूल्हा जलने लगा है।
इस आत्मनिर्भरता से शहर में मुफ्त में बंटने वाले भोजन पैकेट दस हजार की संख्या में कम हो गए हैं। इससे नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है।
कोरोना संक्रमणकाल में बीते 25 मार्च से लागू लॉकडाउन के तीन स्तर पर लगातार 56 दिन तक नगर निगम और समाजसेवी संस्थाओं को आगे आकर दीनदयाल रसोई, गुरुद्वारा एवं अन्य स्थलों से गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराना पड़ा। एक अनुमान के मुताबिक करीब 75 लाख रुपए की अनुमानित राशि से दस लाख से अधिक भोजन पैकेट जरूरतमंदों के दरवाजे पर पहुंचाए गए। लॉकडाउन 4.0 की राहत से पहले शहर की गरीब बस्तियों में इन पैकेट का वितरण करीब 18 हजार प्रतिदिन था। दो दिन से बाजार खुलने से जैसे ही जनजीवन पटरी पर लौटा, वैसे ही दुकानदार, फुटपाथी और मजदूर परिवारों को राहत मिली। लोग अपने काम पर लौट गए और दिहाड़ी आमदनी से उनके चेहरे चमक उठे। घर का चूल्हा जलने से ज्यादातर गरीब परिवारों ने मुफ्त में मिल रहे भोजन पैकेट लेने से मना कर दिया। शहर में दस हजार पैकेट भोजन कम होने से जरूरतमंदों की भोजन जरूरत आठ हजार पैकेट रह गई है। ननि के राजस्व कर्मचारियों का अनुमान है कि एक सप्ताह में लोग सामान्य जीवन में आ जाएंगे। इससे ये पैकेट अत्यंत कम रह जाएंगे।

इन बस्तियों से भी जल्द खत्म होगी मांग
नगर निगम के कर्मचारियों को अभी आठ हजार भोजन पैकेट मोक्षधाम रोड, चौड़ा बाबा एरिया, शक्कर मिल टेकड़ी, बोहता रोड और सुकलूढाना की गरीब बस्तियों में पहुंचाने पड़ रहे हैं। भोजन पैकेट में दीनदयाल रसोई पांच हजार पैकेट, सिंधी गुरुद्वारा मोहन नगर दो हजार तथा अग्रवाल समाज सुकलूढाना के 15 सौ पैकेट शामिल हैं। कर्मचारियों के अनुसार इन बस्तियों का मजदूर वर्ग भी जैसे-जैसे काम पर पहुंचेगा, मुफ्त के भोजन पैकेट की संख्या कम हो जाएगी।

दुआएं.. दोबारा न देखना पड़ें ये दिन
गरीब परिवार ईमानदारी, मेहनत, मजदूरी से अपने घर का चूल्हा जलाना चाहते हैं। कोरोना महामारी के 56 दिन के लॉकडाउन में आर्थिक गतिविधियों के बंद होने से पहली बार उन्हें यह दिन देखने पड़े। फिलहाल ये परिवार ईश्वर से सामान्य जनजीवन और आर्थिक चक्र के पुन: चलने की दुआएं कर रहे हैं।

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