बंद होने की कगार पर मदरसे, ये है वजह
छिंदवाड़ाPublished: Feb 26, 2020 05:27:46 pm
विगत तीन वर्षों से शिक्षकों की अनुदान राशि नहीं मिलने से अब ये तमाम मदरसे बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं
छिंदवाड़ा/जुन्नारदेव/ मध्यप्रदेश शासन के अधीन वाले मदरसा बोर्ड भोपाल से प्रदेश के लगभग 7000 से अधिक मदरसे पंजीकृत है जिनमें से 1814 मदरसे अनुदान प्राप्त होकर उनमें करीबन दो लाख से अधिक छात्र छात्राएं अध्ययनरत है लेकिन विगत तीन वर्षों से शिक्षकों की अनुदान राशि नहीं मिलने से अब ये तमाम मदरसे बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं और शिक्षकों के समक्ष वेतन के लाले पड़े हुए है। मदरसा मोहम्मदिया के संचालक मोहम्मद ताहिर ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं उनके सहयोगी मंत्रियों एवं संबंधित अधिकारियों के साथ ही साथ केन्द्र सरकार से इन मदरसों की दयनीय स्थिति से अवगत कराने के बाद भी कोई कार्यवाही ना होना चिता का विषय है। जबकि केंद्र सरकार से राज्य सरकार को अनुदान प्राप्त होता है उसके बाद ही राज्य सरकार अपनी ओर से अनुदान मिलाकर देती हैं।
उन्होंने आगे बताया कि इससे मप्र के विभिन्न इलाकों में पिछले दो दशकों से संचालित अनुदान प्राप्त ऐसे मदरसों की वित्तीय स्थिति लडख़ड़ा सी गई है। ऐसी परिस्थिति में शिक्षकों ने अपनी सेवाएं देना बन्द कर, दूसरा रुख अख्तियार कर लिया है जिसकी खास वजह यह भी रही कि 20 वर्षों तक सेवाएं देने के बाद भी उन्हें राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश की तर्ज पर सरकारी शिक्षक का स्तर नहीं मिल पाया। अब ऐसी दशा में शिक्षकों के स्थान पर संचालकों को शिक्षक के दायित्व की पूर्ति करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि क्षेत्र में प्राथमिक, माध्यमिक उच्चतर स्तर के मदरसे संचालित है जहां प्रति मदरसा 72 हजार सालाना अनुदान प्राप्त होता है जिसमें शिक्षको का वेतन, भवन किराया एवं अन्य खर्च की पूर्ति हो सके। इन सबके पश्चात भी मदरसा संचालकों ने मदरसों के माध्यम से विद्यार्थियों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित मदरसों को तत्काल अनुदान देने की पुन: मांग शासन से की है।