Unique tradition : बैलों को घंटी और पायल बांध करते हैं महादेव की यात्रा
ढपली, ढोलक, मंजीरे, बासुरी आदि भी होती है जिसका वादन करते हैं।

छिंदवाड़ा. खैरवानी/हनोतिया. देवों के देव महादेव पर ग्रामीणों की आस्था सदैव ही भारी रही है और बिना साधन के भी ग्रामीण अपने आराध्य देव महादेव के दर्शन करने समूचे परिवार के साथ चौरागढ़ तक पहुंच रहे हैं। आधुनिक वाहनों की भरमार के बाद भी ग्रामीण अंचल में आज भी प्राचीन परम्परा को जीवित रखा गया है। ग्रामीण अपने घर पर भगवान भोलेनाथ का पूजन अर्चन कर हर बोला हर-हर महादेव के जयघोष करते हुये महादेव मेले में पहुंच रहे हैं। इस दौरान उनकी सवारी का मुख्य वाहन बैलगाड़ी होता है। यात्रा के दौरान ग्रामीण आकर्षक ढपली, ढोलक, मंजीरे, बासुरी आदि भी होती है जिसका वादन करते हैं।
बैलों की पूजा कर बैलगाड़ी पर होते है सवार- परम्परा को कायम रखते हुये ग्रामीण महादेव मेला जाने से पूर्व बैलों का पूजन करते है और उसके बाद उन्हें घंटी, घुंघुरू, झांझर आदि पहनाकर सजाते हैं। और उसके बाद बैलगाड़ी पर बैठकर महादेव की यात्रा पूरी करते है इसी बीच तीन दिनों में तीन ग्रामों में ग्रामीण ठहरकर खाना-पीना भी बनाते और खाते हुए मेले का आनंद लेते हैं। 35-40 किमी का सफर बैलगाड़ी से तय ग्रामीणजन 35 से 40 किलोमीटर का सफर बैलगाड़ी से तय करते हैं। इन बैलगाड़ी पर न तो किसी प्रकार की चुंगी लगती है और न ही पेट्रोल, पानी बस बैलों के लिए चारे की व्यवस्था जहां-तहां से करते हुए ग्रामीण बैलगाड़ी से ही महादेव के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ते है। इस 35-40 किमी का सफर करने के बाद ग्रामीण पहाड़ की चढ़ाई करने के दौरान बैलों को नीचे ही बांध देते है और भोलेनाथ के दर्शन कर अपनी बापसी की यात्रा भी तय करते हैं।
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