वर्ष 2024 में होगी पूर्ण आहुति
कमेटी द्वारा इस वर्ष बनारस में श्री काशी विश्वनाथ और झारखंड में श्री बाबा वैधनाथ ज्योतिर्लिंग शिवालय में त्रिशूल अर्पित किया जाएगा। कमेटी के सदस्यों ने बताया कि आगामी वर्षों में शेष 2 ज्योतिर्लिंग शिवालय में परम्परानुसार त्रिशूल अर्पित किया जाएगा। इसके साथ ही वर्ष 2024 में 12 ज्योतिर्लिंगो में त्रिशूल अर्पित करने का महायज्ञ की पूर्ण आहुति, शिव महापुराण, विविध अनुष्ठानों, पूजन पाठ के साथ कार्यक्रम को संपन्न किया जाएगा।
कमेटी द्वारा इस वर्ष बनारस में श्री काशी विश्वनाथ और झारखंड में श्री बाबा वैधनाथ ज्योतिर्लिंग शिवालय में त्रिशूल अर्पित किया जाएगा। कमेटी के सदस्यों ने बताया कि आगामी वर्षों में शेष 2 ज्योतिर्लिंग शिवालय में परम्परानुसार त्रिशूल अर्पित किया जाएगा। इसके साथ ही वर्ष 2024 में 12 ज्योतिर्लिंगो में त्रिशूल अर्पित करने का महायज्ञ की पूर्ण आहुति, शिव महापुराण, विविध अनुष्ठानों, पूजन पाठ के साथ कार्यक्रम को संपन्न किया जाएगा।
वर्ष 2013 में हुई थी शुरुआत
श्री चौरागढ़ पंच कमेटी के सरंक्षक सतीश दुबे (लाला) ने बताया कि 80 के दशक से निरंतर चौरागढ़ महादेव को भव्य त्रिशूल अर्पित किया जा रहा है। शुरुआत में छोटे त्रिशूल लोहे, तांबा, पीतल, जस्ता, चांदी, निकल पालिश एवं अन्य प्रकार की धातुओं के त्रिशूल कमेटी के द्वारा भेंट किया जा चुका है। इसी दौरान कमेटी ने बड़ा संकल्प लिया। वर्ष 2012 के बाद त्रिशूल को चौरागढ़ महादेव से पुन: छिंदवाड़ा लाकर 12 ज्योतिर्लिंगों पर अर्पित करने की परंपरा शुरू करने का निर्णय कमेटी द्वारा लिया गया। इसके पश्चात सर्वप्रथम वर्ष 2013 में स्टेनलैस स्टील से निर्मित भव्य त्रिशूल को कमेटी द्वारा भगवान चौरागढ़ महादेव के बाद श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को अर्पित कर परंपरा की शुरुआत की गई। इस परंपरा को अब आगे बढ़ाया जा रहा है।
कोविड की वजह से लगा था विराम
2013 से शुरू हुई 12 ज्योतिर्लिंगों में त्रिशूल अर्पित करने की परंपरा को 2021 में कोविड महामारी के चलते विराम लगा था। कमेटी ने वर्ष 2022 में एक साथ 2 ज्योतिर्लिंगों पर दो अलग-अलग त्रिशूल अर्पित करने का निश्चय किया है। महाशिवरात्रि पर चौरागढ़ महादेव को त्रिशूल अर्पित करने के बाद जल्द ही जल्था एक साथ 2 त्रिशूलों को लेकर श्री काशी विश्वनाथ और श्री बाबा वैधनाथ धाम की यात्रा के लिए रवाना होगी।
2013 से शुरू हुई 12 ज्योतिर्लिंगों में त्रिशूल अर्पित करने की परंपरा को 2021 में कोविड महामारी के चलते विराम लगा था। कमेटी ने वर्ष 2022 में एक साथ 2 ज्योतिर्लिंगों पर दो अलग-अलग त्रिशूल अर्पित करने का निश्चय किया है। महाशिवरात्रि पर चौरागढ़ महादेव को त्रिशूल अर्पित करने के बाद जल्द ही जल्था एक साथ 2 त्रिशूलों को लेकर श्री काशी विश्वनाथ और श्री बाबा वैधनाथ धाम की यात्रा के लिए रवाना होगी।
केदारनाथ की दुर्गम यात्रा ने ली थी परीक्षा
वर्ष 2018 मई माह में कमेटी के 40 लोगों का जत्था उत्तराखंड में स्थित बाबा केदारनाथ के धाम 151 किलो का त्रिशूल अर्पित करने के लिए रवाना हुआ था। सदस्यों ने गौरीकुंड मार्ग से 27 किलोमीटर की दुर्गम पहाड़ी रास्ते से होते हुए करीब 24 घण्टे में अपना सफर पूर्ण किया गया। इस सफर में सदस्यों के सामने कई कठिनाई भी आई, लेकिन भोले की प्रति अटूट श्रद्धा की वजह से हर मुश्किल राह आसान हो गई। भक्त त्रिशूल को अपने कंधे पर रखकर बाबा केदारनाथ के दर पर पहुंचे और समिति को त्रिशूल को समर्पित किया।