छिंदवाड़ा

मक्का की चमक पड़ी फीकी, किसानों का छूट रहा मोह

कृषि विभाग ने एपीसी की बैठक में रखी जिले में बोवनी की स्थिति : इस साल खरीफ में 70 हजार एकड़ का रकबा घटा

छिंदवाड़ाMay 24, 2020 / 06:01 pm

Rajendra Sharma

maize

छिंदवाड़ा/ पिछले तीन वर्षों में दो कॉर्न फेस्टिवल आयोजित कर जिले में होने वाले मक्का के गुण और गुणवत्ता के साथ उसकी ब्रांडिंग को लेकर जो बातें सेमिनार और मंचों से हुईं थीं वो कुछ समय में ही हवा होती दिख रहीं हैं। दिसंबर में इस बार दो दिवसीय कॉर्न फेस्टिवल को अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्वरूप दिया गया था और छिंदवाड़ा में होने वाले मक्का की चमक को पूरे देश एवं विश्व के बाजार में किस तरह पहुंचाया जाए, इस विषय पर लंबी चर्चा हुई थी। भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए इसका उत्पादन क्षेत्र और बढऩा चाहिए, लेकिन आने वाले खरीफ सीजन में जिले में इसका रकबा लगभग 28 हजार हैक्टेयर यानी 70 हजार एकड़ कम होने जा रहा है। कृषि विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ प्रदेश के सभी जिलों की आगामी खरीफ का जो कार्यक्रम जिले की तरफ से रखा गया यह उसका आंकड़ा है।
पिछले साल दो लाख 98 हजार हैक्टेयर में मक्का की बोवनी जिले में की गई थी, लेकिन इस साल रकबा 2 लाख 70 हजार हैक्टेयर के आसपास ही रह जाएगा। ध्यान रहे 2016 में मक्का का रकबा दो लाख 42 हजार हैक्टेयर था। 2017 में यह बढकऱ 2 लाख 60 हजार हैक्टेयर पहुंच गया। 2018 में जिले में मक्का की बोवनी दो लाख 78 हजार हैक्टेयर में हुई। पिछले साल 2019 में रेकॉर्ड दो लाख 98 हजार हैक्टेयर में किसानों ने मक्का का बीज बोया। जिले में छिंदवाड़ा, चौरई और अमरवाड़ा विकासखंड में मक्का की खेती सबसे ज्यादा होती है।
जिले के कुल रकबे का लगभग चालीस प्रतिशत मक्का इन तीन क्षेत्रों में होता है। बाकी का 60 प्रतिशत मक्का बाकी के आठ विकासखंडों में किसान लगाते हैं।
मौसम और कीट प्रकोप बड़ा कारण

मक्का को लेकर किसानों की अरुचि इस बार मौसम की अनिश्चितता, पिछले वर्ष हुई भारी बारिश के कारण फसल को क्षति और फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप माना जा रहा है। ध्यान रहे पिछले बार तीन लाख हैक्टेयर के पास पहुंचे बोवनी क्षेत्र के बाद मक्का का बम्पर उत्पादन होना था, लेकिन मक्का के लगते ही फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप जुलाई में हुआ। मक्का फलती उससे पहले ही कीट के प्रकोप ने सैकड़ों हैक्टेयर की मक्का को बर्बाद कर दिया। इसके बाद बेतहाशा हुई बारिश ने फसल को पानी-पानी कर दिया। फसल इस बार तीस प्रतिशत तक मार गई। शुरू में भाव अच्छे मिले तो किसानों ने मक्का रोक रखा, लेकिन जनवरी-फरवरी में भाव जो टूटे तो उसने किसानों की कमर भी तोडकऱ रख दी। 2200 रुपए क्विंटल तक बिका मक्का अब 800-900 रुपए तक मांगा जा रहा है। कई किसान तो ऐसे हैं जिनका मक्का अभी तक बिका ही नहीं। ऐसे में वो फिर से मक्का की बोवनी कैसे कर दें, इसीलिए वे रुचि नहीं ले रहे। दूसरा फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप इस बार फिर मक्का पर होने की आशंका है। ज्यादा बारिश के कारण मक्का की चमक भी फीकी पड़ी है। कहीं इस बार भी मौसम के बुरे हाल रहें, यही सोचाकर किसान पीछे हट रहा है।
ये है इस बार खरीफ की फसलों का प्रस्तावित लक्ष्य

मक्का 2 लाख 70 हजार हैक्टेयर
अरहर 35 हजार हैक्टेयर
धान 32 हजार हैक्टेयर
सोयाबीन 25 हजार हैक्टेयर
कोदो कुटकी 20 हजार हैक्टेयर
उड़द 15 हजार हैक्टेयर
मंूगफल्ली 15 हजार हेक्टेयर
कपास 52 हजार हैक्टेयर
बाजार में भाव उतरने के कारण भी किसान परेशान हैं

एपीसी की बैठक में जिले का प्रस्तावित लक्ष्य तय कर दिया गया है। इसके हिसाब से तैयारियां शुरू की जा चुकीं हैं। मक्का पिछले साल मौसम के साथ कीट प्रकोप से मार खाया है। बाजार में भाव उतरने के कारण भी किसान परेशान हैं। इस बार तिलहन की फसलों का रकबा बढ़ाने की कोशिश की गई है। भविष्य में इनके उत्पादन और मांग को देखते हुए किसानों इनकी बोवनी करने की सलाह दी जा रही है।
जेआर हेडाऊ, उपसंचालक कृषि
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