मौसम और कीट प्रकोप बड़ा कारण मक्का को लेकर किसानों की अरुचि इस बार मौसम की अनिश्चितता, पिछले वर्ष हुई भारी बारिश के कारण फसल को क्षति और फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप माना जा रहा है। ध्यान रहे पिछले बार तीन लाख हैक्टेयर के पास पहुंचे बोवनी क्षेत्र के बाद मक्का का बम्पर उत्पादन होना था, लेकिन मक्का के लगते ही फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप जुलाई में हुआ। मक्का फलती उससे पहले ही कीट के प्रकोप ने सैकड़ों हैक्टेयर की मक्का को बर्बाद कर दिया। इसके बाद बेतहाशा हुई बारिश ने फसल को पानी-पानी कर दिया। फसल इस बार तीस प्रतिशत तक मार गई। शुरू में भाव अच्छे मिले तो किसानों ने मक्का रोक रखा, लेकिन जनवरी-फरवरी में भाव जो टूटे तो उसने किसानों की कमर भी तोडकऱ रख दी। 2200 रुपए क्विंटल तक बिका मक्का अब 800-900 रुपए तक मांगा जा रहा है। कई किसान तो ऐसे हैं जिनका मक्का अभी तक बिका ही नहीं। ऐसे में वो फिर से मक्का की बोवनी कैसे कर दें, इसीलिए वे रुचि नहीं ले रहे। दूसरा फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप इस बार फिर मक्का पर होने की आशंका है। ज्यादा बारिश के कारण मक्का की चमक भी फीकी पड़ी है। कहीं इस बार भी मौसम के बुरे हाल रहें, यही सोचाकर किसान पीछे हट रहा है।
ये है इस बार खरीफ की फसलों का प्रस्तावित लक्ष्य
मक्का 2 लाख 70 हजार हैक्टेयर
अरहर 35 हजार हैक्टेयर
धान 32 हजार हैक्टेयर
सोयाबीन 25 हजार हैक्टेयर
कोदो कुटकी 20 हजार हैक्टेयर
उड़द 15 हजार हैक्टेयर
मंूगफल्ली 15 हजार हेक्टेयर
कपास 52 हजार हैक्टेयर
मक्का 2 लाख 70 हजार हैक्टेयर
अरहर 35 हजार हैक्टेयर
धान 32 हजार हैक्टेयर
सोयाबीन 25 हजार हैक्टेयर
कोदो कुटकी 20 हजार हैक्टेयर
उड़द 15 हजार हैक्टेयर
मंूगफल्ली 15 हजार हेक्टेयर
कपास 52 हजार हैक्टेयर
बाजार में भाव उतरने के कारण भी किसान परेशान हैं एपीसी की बैठक में जिले का प्रस्तावित लक्ष्य तय कर दिया गया है। इसके हिसाब से तैयारियां शुरू की जा चुकीं हैं। मक्का पिछले साल मौसम के साथ कीट प्रकोप से मार खाया है। बाजार में भाव उतरने के कारण भी किसान परेशान हैं। इस बार तिलहन की फसलों का रकबा बढ़ाने की कोशिश की गई है। भविष्य में इनके उत्पादन और मांग को देखते हुए किसानों इनकी बोवनी करने की सलाह दी जा रही है।
जेआर हेडाऊ, उपसंचालक कृषि
जेआर हेडाऊ, उपसंचालक कृषि