इतना ही नहीं संकुल प्राचार्यों से सांठगांठ अथवा संबंधों के चलते संबंधित अध्यापक रिलीव भी कर दिए गए, लेकिन ज्वाइनिंग के समय समीक्षा करने पर हकीकत सामने आ रही है। मिली जानकारी के अनुसार करीब 600 आवेदन पति-पत्नी तथा 46 गंभीर बीमारी से पीडि़त होना दर्शाया गया है। मामले संदिग्ध होने पर संबंधित प्रकरणों को होल्ड पर रखा गया है तथा मामले की जांच कराई जा रही है।
ऐसे सामने आ रहे पकड़ाई – प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से स्थानांरित होकर छिंदवाड़ा पहुंच रहे अध्यापकों की संकुलों में ज्वाइनिंग लेते समय दस्तावेजों की समीक्षा की गई, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर दर्शायी गए कारणों के प्रमाण-पत्र अथवा पति या पत्नी के शासकीय सेवा में कार्यरत होने शासकीय पत्र मांगे जाने पर संबंधितों द्वारा असमर्थता जताने से प्रकरण सामने आए है। बताया जाता है कि जिलास्तर से उक्त मामलों को भोपाल आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजा गया है।
यह है प्रक्रिया – स्वैच्छिक स्थानांतरण नीति वर्ष 2019-20 के तहत शासन द्वारा स्थानांतरण के लिए प्राथमिकता तय की गई है, जिसके तहत आवेदक को लाभ मिलना है, जिसमें गड़बड़ी की गई है –
1. महिला वर्ग – स्वयं अथवा परिवार के सदस्य कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, गुर्दा प्रत्यारोपण, ओपन हार्ट सर्जरी, एन्ज्योप्लास्टी अथवा लकवा ग्रसित होने तथा शासकीय सेवारत पति के कार्यस्थान पर स्थानांतरण किया जाना शामिल है। साथ ही निशक्त कोटे अंतर्गत नियुक्ति होने अथवा विधवा, तलाकशुदा या परित्याक्ता की स्थिति में प्राथमिकता के आधार पर लाभ दिया जाता है।
2. पुरुष वर्ग – स्वयं अथवा परिवार के सदस्य कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, गुर्दा प्रत्यारोपण, ओपन हार्ट सर्जरी, एन्ज्योप्लास्टी अथवा लकवा ग्रसित होना शामिल है। साथ ही शासकीय सेवारत पत्नी के कार्यस्थान पर स्थानांतरण किया जाना तथा निशक्त कोटे के तहत नियुक्ति हुई हो अथवा एक से अधिक आवेदक होने पर वरिष्ठता को प्राथमिकता दी जानी है।
निरस्त होंगे आवेदन – गलत जानकारी देकर शासन को गुमराह करने वाले आवेदकों के प्रकरण निरस्त किए जाएंगे तथा शासनस्तर से आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
– राजेश तिवारी, संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग