डिलेवरी पाइंट को सक्रिय करने की दरकार
छिंदवाड़ा जिले की बात करें तो मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल का गायनिक वार्ड 24 घंटे सक्रिय रहता है। यहां हर दिन औसतन 40 महिलाओं की डिलेवरी होती है। इनमें से 80 प्रतिशत प्रसूताएं उन क्षेत्रों से होती हैं, जहां के डिलेवरी पाइंट निष्क्रिय हैं। यानी
छिंदवाड़ा ग्रामीण, मोहखेड़, चौरई, जुन्नारदेव, परासिया, तामिया समेत अन्य क्षेत्र की गर्भवती महिलाएं यहां लाई जाती हैं। इनमें से ज्यादातर महिलाओं की स्थिति गम्भीर होती है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार छिंदवाड़ा जिले में कुल 51 डिलेवरी पाइंट हैं। ज्यादातर में या तो स्टाफ की कमी है या संसाधनों की। यदि निष्क्रिय पड़े डिलेवरी पाइंट सक्रिय होंगे, तो प्रसूताओं को काफी हद तक खतरे से बचाया जा सकता है।
विशेषज्ञों की कमी
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सम्भाग के शासकीय अस्पतालों में स्त्री रोग विशेषज्ञ के 113 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 13 ही कार्यरत हैं। इसके अलावा शिशु रोग विशेषज्ञ के लिए स्वीकृत 92 पदों में 77 रिक्त हैं।
बारिश के चार महीनों में टूट जाता है सम्पर्क
स्वास्थ्य सुविधा की पहुंच या स्वास्थ्य सुविधा तक पहुंच, इन दोनों पहलुओं को लेकर तीनों जिलों की स्थिति लगभग एक जैसी है। यहां के सैकड़ों गांव ऐसे हैं, जिनका सम्पर्क बारिश के दौरान मुख्य मार्ग से टूट जाता है। वर्ष के करीब चार माह तक यहां के लोगों को प्रशासन की इस अनदेखी का दंश झेलना पड़ता है। इस दौरान ज्यादातर प्रसूताओं को उचित इलाज नहीं मिल पाता। जिन महिलाओं का गर्भधारण काल चल रहा होता है, वे नियमित जांच और इलाज के अभाव में दुर्बल हो जाती हैं। जिनकी डिलेवरी का समय आ जाता है, उन्हें स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में कई बार सफलता नहीं मिल पाती।

इनका कहना है
जिले में मातृ और शिशु मृत्यु दर काफी कम है। प्रसव पूर्व और बाद में प्रसूताओं को अच्छा उपचार, बच्चों को पोषण आहार देने का काम किया जा रहा है। शासन की योजना के तहत मातृ और शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए लगातार बेहतर प्रयास किए जा रहे है
-डॉ. मनोज पाण्डेय, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बालाघाट
जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी बड़ा कारण है। शिशु रोग विशेषज्ञ के साथ गायनिक में भी चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं। कायाकल्प के बाद चिकित्साधिकारी और स्टाफ संवेदनशील हुए हैं। जिला अस्पताल में उपलब्ध संसाधनों से जो बेहतर हो सकता है करने का प्रयास किया जाता है।
- विनोद नॉवकर, सिविल सर्जनजिला अस्पताल, सिवनी
जिले में शिशु और मातृ मृत्यु दर के नियंत्रण के प्रयास किए जा रहे हैं। तामिया समेत कुछ इलाकों में डिलेवरी की चुनौती जरूर है, लेकिन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अपने दायित्व पूरे करने के निर्देश जरूर दिए गए हैं।
-डॉ.शिखर सुराना, सिविल सर्जन एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी-1 छिंदवाड़ा