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छिंदवाड़ा में अंदरूनी कलह के कारण हारी भाजपा, 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी

कमलनाथ का चला जादू या 18 साल बाद जनता का बदला मन

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छिंदवाड़ा. नगर निगम चुनाव के नतीजों ने भाजपा और कांग्रेस को सोचने पर मजबूर कर दिया है। पहले चरण में हुए मतदान के परिणाम आने के बाद बीजेपी का किला ढह गया तो कांग्रेस ने एक बार फिर इतिहास रच दिया।

कांग्रेस ने भाजपा के 18 साल पुराने गढ़ में सेंध लगा दी। महापौर प्रत्याशी कांग्रेस के युवा चेहरे विक्रम अहके ने भाजपा के 60 साल के वरिष्ठ अनंत धुर्वे को 3786 वोट से हरा दिया। इसके साथ ही कांग्रेस के 26 पार्षद प्रत्याशियों ने कब्जा जमाया। निगम गठन के बाद यह पहली बार है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की पसंद के उम्मीदवार ने निगम की सत्ता से भाजपा को उखाड़ फेंका। इसकी बड़ी वजह भाजपा के अंदर भितरघात माना जा रहा है।

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बताया जा रहा है कि छिंदवाड़ा में भाजपा दो गुटों में बंटी है एक तरफ बीजेपी जिला अध्यक्ष बंटी साहू और दूसरी तरफ पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह है। निगम चुनाव से पहले टिकट के दावेदारी के लिए दोनों में अलग-अलग सक्रिय हो गए थे। बंटी साहू ने अपने खास कार्यकर्ताओं को टिकट दिला दी और चौधरी चंद्रभान सिंह के कई समर्थकों की टिकट कट गई, यही वजह थी कि चुनाव में 20 से ज्यादा बागी मैदान में आ गए थे।

हालांकि पार्टी स्तर पर काफी मान मनोबल हुआ तो दो बागियों के छोड़कर सभी प्रत्याशियों ने फॉर्म खीच लिया, बीजेपी के दो बागी प्रत्याशी हरि ओम सोनी और राजेश भोयर ने मैदान ताल ठोकी और भाजपा के खिलाफ काम किया। इन दोनों के वार्ड से ही बीजेपी का मेयर प्रत्याशी को बुरी तरह से हार गया और निगम चुनाव के परिणाम बदल गए।

कांग्रेस की कमान कमलनाथ के हाथ
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने चुनाव की कमान संभाल रखी थी, सांसद नकुलनाथ और कमलनाथ ने रोड शो भी किया। नतीजा नगर निगम चुनाव के लिए मतदान में 1 लाख 31 हजार वोटरों ने अपना फैसला सुनाया। हालांकि मतदान पिछले चुनाव वर्ष 2015 के मुकाबले 8 प्रतिशत कम था।

विक्रम ने पहले ही दौर में विक्रम बीजेपी के अनंत धुर्वे से आगे हो गए। हालांकि अंतर 100 वोट से कम था। ऐसे में दोनों ही प्रत्याशी अगले राउंड का इंतजार करते रहे। दूसरे राउंड में भी विक्रम की बढ़त बरकरार रही। यह सिलसिला लगातार छह राउंड तक बना रहा। अंत में यह जीत 3786 वोट से तय हुई। विक्रम को 64363 एवं अनंत धुर्वे को 60577 वोट मिले। भाजपा की सत्ता होने के बावजूद इस हार को बड़ा झटका माना जा रहा है। अब पार्टी के नेता अपनी हार के कारणों के चिंतन में जुट गए हैं।

विक्रम की जीत की वजह
कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम की मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और पिता किसान हैं। इसलिए जनता ने विक्रम को अपने बीच का माना। वही विक्रम युवा चेहरा हैं और उनकी छवि साफ-सुथरी है। विजन क्लीयर है। दूसरी ओर भाजपा में भितरघात और कार्यकर्ताओं की बगावत ने माहौल खराब किया। निगम में काम करने वाले पहले के बीजेपी नेत्रत्व ने जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया।नगर निगम में जुड़े वार्डों में विकास न होने से भी जनता परेशान थी। सीवर लाइन के कार्य के चलते पूरा शहर खोद दिया गया है। यह भी भाजपा के हार की वजह बनी।