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MGNREGA Performance Deteriorated : मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने में केंद्र की यह योजना भर रही दम

locationछिंदवाड़ाPublished: Sep 23, 2019 11:40:08 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

सितम्बर तक मानक 48 की बजाय 36 मानव दिवस का सृजन : मजदूरी लटकने से ग्रामीण शहर की तरफ कर रहे पलायन

केंद्र सरकार को बड़ी राहत! मनरेगा मजदूरी की दरें बढ़ाने को मिली मंजूरी

केंद्र सरकार को बड़ी राहत! मनरेगा मजदूरी की दरें बढ़ाने को मिली मंजूरी

छिंदवाड़ा/ गांवों के मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने में मनरेगा योजना का परफारमेंस इस वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में लडख़ड़ा गया है। सितम्बर तक मानक 48 की बजाय 36 मानव दिवस का ही सृजन हो पाया है। इसकी वजह मनरेगा में कई बार ऑनलाइन मजदूरी लटकने से ग्रामीणों का शहर में रोजगार की तलाश करना बताया गया है।
जिला पंचायत की सामान्य सभा में पेश किए गए मनरेगा के प्रतिवेदन में दिए गए आंकड़ों से यह स्पष्ट हुआ है। ग्रामीण स्तर के मजदूरों को सौ दिन की मजदूरी देने के मकसद से बनी इस योजना में इस साल मानव दिवस का लक्ष्य मानक 80.01 रखा गया था। जिसमें सितम्बर तक लक्ष्य 48 था। इसके सृजित मानव दिवस 35.15 रहे। इससे उपलब्ध का प्रतिशत 45.18 रहा। हाल ही में जिला पंचायत सीइओ ने जनपद पंचायत के अधिकारियों को मनरेगा में लेबर बढ़ाने के लिए निर्देशित किया था। ग्रामीण क्षेत्रों से यही खबर आई थी कि मनरेगा में पिछले कुछ माह से लगातार मजदूरी और मटेरियल का भुगतान आने की समस्या बनी हुई है। इससे श्रमिक गांवों में ऑनलाइन मजदूरी की बजाय शहरों में नकद मजदूरी को प्राथमिकता देते हैं। इससे कई पंचायतों में मजदूर मिलना मुश्किल हो गए हैं। जिला मुख्यालय से नजदीक पंचायतों में यह समस्या आम है। फिलहाल जनपद पंचायत के अधिकारियों का मनरेगा में लेबर बढ़ाने का दबाव पंचायतों पर बना हुआ है।
मटेरियल के 3.51 करोड़ रुपए बकाया

मनरेगा के लंबित भुगतान को देखा जाए तो जिलेभर में अकुशल मजदूरों के 23.52 लाख रुपए और मटेरियल के 3.51 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया बताया गया है। ग्रामीण विकास अधिकारियों का कहना है कि मनरेगा में मजदूरों के भुगतान हो रहे हैं। यह जरूर है कि इसके ऑनलाइन भुगतान कई बार लेट हो जाते हैं।
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