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मनरेगा में काम के अभाव और कम मजदूरी की समस्या

locationछिंदवाड़ाPublished: May 30, 2023 07:29:27 pm

Submitted by:

mantosh singh

मनरेगा में जरूरत के अनुरूप काम और महंगाई के अनुपात में मजदूरी नहीं मिल रही है। इस कारण ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन जारी है।

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महंगाई प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतें सबसे ज्यादा बढ़ी हैं। गरीब परिवारों को घर चलाना मुश्किल हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के युवा ज्यादा मजदूरी की आस में शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। समस्या यह है कि मनरेगा में काम भी कम मिल रहा है और महंगाई के हिसाब से मजदूरी भी नहीं है। 221 रुपए प्रति दिवस मजदूरी से घर का खर्चा नहीं संभल रहा है। शहरों में आसानी से 400 से 500 रुपए की आय हो जाती है। इसलिए मजदूरों का शहरों के लिए पलायन जारी है।
वस्तुत: यह पलायन रोकने के लिए ही मनरेगा का प्रादुर्भाव हुआ है। स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा का संचालन किया जा रहा है। छिंदवाड़ा जिले में 37 प्रतिशत आबादी आदिवासी बाहुल्य है। आय का जरिया मजदूरी है। कुछ परिवार खेती-किसानी का कार्य कर रहे हैं। गांव में आय के दूसरे साधन नहीं हैं। ज्यादा आय और दूसरे काम की तलाश में युवा पीढ़ी शहरों की तरह जा रही है। पातालकोट के एक दर्जन गांव पूरी तरह से खाली हो गए हैं। यहां सिर्फ बुजुर्ग ही बचे हैं। क्षेत्र के युवा नरसिंहपुर, नर्मदापुरम, भोपाल, हैदराबाद जैसे शहरों में जाकर मजदूरी करते हैं। त्योहार और पर्वों पर ही वे घर लौटते हैं। कुछ दिन गांव में रहने के बाद फिर काम की तलाश में शहर चले जाते हैं। यह सिलसिला सालभर चलता रहता है।
अमरवाड़ा, हर्रई, जुन्नारदेव, बिछुआ, पांढुर्ना, सौंसर में भी यही स्थिति है। अन्य जिलों की स्थिति भी बेहतर नहीं हैं। कोरोना लॉकडाउन में छिंदवाड़ा में 13000 से अधिक फैक्ट्री में काम करने वाले श्रमिकों की वापसी हुई थी। 50,000 से अधिक मजदूर भी लौटे थे। स्थितियां ठीक होने पर श्रमिक और मजदूर परिवार फिर से जिले से बाहर चले गए हैं। अगर स्थानीय स्तर पर पर्याप्त काम और मजदूरी के इंतजाम होते तो पलायन की स्थिति नहीं बनती। मनरेगा में घर खर्च चलाने के लिए पर्याप्त मजदूरी मिलती तो भी शहरों की तरफ आकर्षण कम होता। एक और उपाय है, जिस पर सरकार की नजर नहीं है और वह यह कि औषधि, उपज और अन्य स्थानीय विशेषताओं के हिसाब से प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का काम बिलकुल नहीं हो रहा है। मक्का और संतरा उत्पादन में अग्रणी छिंदवाड़ा में यह प्रोसेसिंग यूनिट खोलने पर ध्यान देना चाहिए।

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