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खदान बंद : प्रतिदिन तीस लाख रुपए का नुकसान

locationछिंदवाड़ाPublished: Aug 13, 2017 12:35:00 am

Submitted by:

arun garhewal

खदान को बंद करने के निर्णय के विरोध में श्रम संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। कोल इंडिया ने घाटे में चल रहे 217 खदानो को बंद करने का निर्णय लिया है।

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छिंदवाड़ा. परासिया . पेंच क्षेत्र की गणपति कोयला खदान को बंद करने के निर्णय के विरोध में श्रम संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। कोल इंडिया ने घाटे में चल रहे 217 खदानो को बंद करने का निर्णय लिया है। कलकत्ता में आयोजित अपेक्स की बैठक में श्रम संगठन तथा प्रबंधन के उच्च अधिकारियों ने प्रथम चरण में 37 खदानों को बंद करने का निर्णय लिया जिसमें वेकोलि की दस खदानें है जिसमें पेंच कन्हान क्षेत्र की पांच खदान शामिल है।
शनिवार को वेकोलि त्रिपक्षीय सुरक्षा समिति सदस्य कमलेश द्विवेदी ने गणपति खदान का निरीक्षण किया और कहा कि गणपति को बंद करने का निर्णय अव्यवहारिक है। प्रबंधन ने जानबूझकर कार्ययोजना अनुसार फाल्ट हटाने के लिए कार्य नहीं किया, फाल्ट हटाने के बाद कोयला का भंडार है। खदान में आगामी समय में बहुत सारे कामगार रिटायरमेंट होने वाले है जिसके कारण कास्ट में कमी आयेगी इसलिए खदान को पूर्ववत चालू रखा जाये।
खदान में है कोयला का भंडार: 25 वर्षीय पुरानी गणपति भूमिगत कोयला खदान का उत्पादन लक्ष्य प्रतिवर्ष चार लाख टन था जो घटकर मात्र 33 हजार टन प्रतिवर्ष रह गया है। कोयला उत्पादन की लागत बहुत अधिक आ रही है इसी को आधार बनाकर खदान बंद की जा रही है हालांकि श्रम संगठनों का कहना है कि प्रबंधन की लापरवाही से यह स्थिति निर्मित हुर्ह है। यदि खदान में 8 लेवल 35 डिप के डवलपमेन्ट एवं 9 लेवल 38 डिप का पानी खाली कर दिया जाए और फाल्ट तोड दिया जाए तो माइन को लम्बे समय के लिए चलाया जा सकता है।
बिना काम के मिल रहा वेतन
गणपति खदान में प्रबंधन ने उत्पादन कार्य बंद कर दिया है यहां कार्यरत लगभग 286 कामगारों के पास कोई काम नहीं है और उन्हें बिना कार्य के वेतन मिल रहा है इस पर प्रतिदिन लगभग तीस लाख रूपए से अधिक का व्यय हो रहा है। कामगारों का स्थानांतरण अन्य खदानों में करने की तैयारी प्रबंधन ने कर ली है। इसके बाद विष्णुपुरी की दो खदानों को बंद करने की योजना बनाई गई है।
कोयला खदान को बंद करने के निर्णय के विरोध में महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष क्रमिक भूख हडताल की जा रही है। प्रबंधन द्वारा खदान बंद करने के निर्णय को वापस नहीं लिया गया तो बीएमएस पूरे क्षेत्र में कोल परिवहन एवं कोयला खदानें बंद करेगा।
संजय सिंह, अध्यक्ष पेंच कन्हान
स्थानीय मैनेजमेंट खदान चलाना चाहता है इसके बाद भी उच्च स्तर से खदान बंद करने का निर्णय लिया गया है। क्षेत्र की पांच कोयला खदानो के बंद करने का व्यापक असर पडेगा जिससे सामाजिक, व्यापारिक, आॢथक पक्ष प्रभावित होगा। संयुक्त मोर्चा द्वारा 14 अगस्त से गणपति खदान परिसर में क्रमिक अनशन किया जाएगा
पीके मूर्ति, महासचिव सीटू
केन्द्र सरकार एवं कोल इंडिया की मंशा निजीकरण को बढ़ावा देने की है। गलत नीतियों के कारण कोयला उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है। प्रबंधन की नकरात्मक सोच का उदेश्य केवल खदानों को बंद करना है जिसका विरोध इंटक संगठन करता है और हमारा प्रयास है कि खदानें बंद न हों।
रवि वर्मा, महामंत्री इंटक रीजनल

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