जिला जेल अधीक्षक यजुवेन्द्र बाघमारे ने बताया कि जिला जेल में सजायापता और विचाराधीन बंदियों के नाम पर उनके परिजनों ने धोखाधड़ी हुई है। बंदियों को चोट लगने और उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद ब्लड लगने की सूचना सम्बंधित बंदी के अधिवक्ता को फोन पर दी गई। उन्होंने बताया कि १६ जून को दंडित बंदी देवराज के अधिवक्ता वी.एस ठाकुर को एक मोबाइल नम्बर से फोन किया गया। फोन करने वाले ने यह झूठी खबर दी गई कि बंदी देवराज को चक्कर आ गया है। जिला अस्पताल में भर्ती है। विचाराधीन बंदी मनीष के अधिवक्ता अजय पालीवाल के पास उसी मोबाइल नम्बर से फोन कर झूठी जानकारी दी गई कि मनीष को चोट लगी है और उसे जिला अस्पताल में भर्ती किया है। ब्लड की आवश्यकता है जिसके लिए रुपए मांगें गए। विचाराधीन बंदी संदीप के अधिवक्ता संजय मिश्रा के पास भी उसी नम्बर से फोन आया झूठी जानकारी दी। उन्होंने बंदी के मौसा अशोक कराड़े का नम्बर दिया जिसके माध्यम से ठग ने ५ हजार २६० रुपए ले लिए। सूचना के बाद अधिवक्ताओं ने जेल में सम्पर्क किया जिसके बाद पूरा मामला प्रकाश में आया। तीनों बंदियों और उनके परिजनों के साथ ही अधिवक्ताओं को जेल के अंदर मिलाया ताकि उन्हें यह भरोसा हो सके कि बंदी पूरी तरह से सुरक्षित है।
कोतवाली थाना में दर्ज कराई रिपोर्ट
इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट जिला प्रबंधन ने कोतवाली थाना में दर्ज कराई है। अपनी लिखित शिकायत में उस मोबाइल नम्बर का उल्लेख भी किया है जिससे अधिवक्ताओं के पास फोन किया गया था। पुलिस ने धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर मोबाइल नम्बर के आधार पर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। हालांकि देर शाम तक कोई पुख्ता जानकारी पुलिस के हाथ नहीं लगी थी। बताया जा रहा है कि एक बंदी के परिजन से रुपए मिलने के बाद वह मोबाइल बंद हो चुका था।