शासन के निर्देशानुसार उक्त प्रक्रिया पहली प्री-बोर्ड परीक्षा के पूर्व पूरी होनी चाहिए थी, जो अब दूसरी प्री-बोर्ड परीक्षाके पहले आयोजित करने की योजना बना रहे है। हालांकि बजट को लेकर अब तक स्थिति साफ नहीं होने से जिला शिक्षा अधिकारी तथा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के एडीपीसी उक्त कार्यक्रम के आयोजन में रुचि कम ही दिखा रहे है।
उल्लेखनीय है कि लोक शिक्षण संचालनालय आयुक्त जयश्री कियावत ने मिशन-1000 के तहत चयनित स्कूलों के ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने अपेक्षानुसार रिजल्ट नहीं दिया है, उनके लिए जिलास्तर पर एक सप्ताह का आवासीय कैम्प में रखा जाना है तथा विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को आवश्यक मार्गदर्शन दिए के निर्देश दिए गए थे।
अब तक तैयार नहीं हुई रणनीति – मिशन-1000 स्कूलों के बेहतर परीक्षा परिणाम लाने के लिए रणनीति बनाने के निर्देश दिए गए थे तथा उसी के आधार पर अध्यापन कार्य कराना जाना है। लेकिन अब तक विभाग ने रणनीति भी तैयार नहीं की है। ऐसे में शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम मिलने पर संशय बना हुआ है।
कैम्प तथा शिक्षकों का ऐसे होना है चयन – 1. कैम्प के लिए ऐसे स्थान का चयन किया जा सकेगा जहां करीब 250 बच्चों की आवास व्यवस्था सुचारू रूप से हो सके। इसके लिए जिले के मॉडल स्कूल को प्राथमिकता दिया जाना है। मॉडल स्कूल नहीं होने की स्थिति में अन्य स्कूल या भवन का चयन किया जा सकता है।
2. नोडल की जिम्मेदारी ऐसे प्राचार्यों की होगी, जिन्होंने जिलास्तर पर विषय शिक्षकों के एक दिवसीय उन्मुखीकरण में मास्टर टे्रनर्स के साथ समन्वय किया है। 3. गणित, अंग्रेजी, विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान विषय का शिक्षण कैम्प में कराया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक विषय के दो शिक्षकों की सेवाएं विषय विशेषज्ञ के रूप में लिया जाना है।
4. विषय विशेषज्ञ शिक्षकों का चयन कैम्प के नोडल अधिकारी द्वारा अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक के सहयोग से किया जाएगा। विषय विशेषज्ञ में ज्ञानपुंज दल के सदस्य को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना है तथा इसके बाद अन्य शिक्षकों का चयन किया जाएगा।