समतल और पहाड़ी इलाकों में इस बार बारिश अच्छी, पठारी क्षेत्र अभी भी औसत बारिश में पीछे
छिंदवाड़ा/ बारिश के पानी के लिए जुलाई के महीने में तरस रहे जिलेवासियों की दुआएं अगस्त में काम आईं और महीने के लगभग आधे दिन पानी बरसा। जिले के समतल और पहाड़ी क्षेत्रों में इस बार बारिश अच्छी हुई है। कुछ जगहों पर तो औसत बारिश से ज्यादा पानी बरस चुका है तो कुछ जगह बारिश का आंकड़ा सामान्य के आसपास पहुंच चुका है। शनिवार से सोमवार के बीच तीन दिन तेज बारिश का दौर चला। इस साल पिछले साल के मुकाबला पांच इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है।
जिले में तामिया, जामई, हर्रई और अमरवाड़ा पहाड़ी क्षेत्रों में गिने जाते हैं। इन क्षेत्रों में सामान्यत: सबसे ज्यादा वर्षा आंकी जाती है। इन क्षेत्रों में 1200 मिमी बारिश औसत मानी गई है। कारण ये है कि पहाड़ों के कारण कम दबाव का क्षेत्र यहां जल्दी बनता है और बारिश अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। इस बार
तामिया में 1202 मिमी बारिश हो चुकी है जो सामान्य से ज्यादा है। जामई में बारिश का आंकड़ा 1100 मिमी को पार कर चुका है।
अमरवाड़ा में 809 और हर्रई में 842 मिमी बारिश हुई है। यहां आंकड़ा सामान्य से कम है, लेकिन बारिश के दिन अभी बचे हैं इसलिए उम्मीद की जा रही है यहां भी इस बार आंकड़ा औसत को छू जाएगा।
समतल इलाकों को देखें तो इसमें संतरांचल के पांढुर्ना और सौंसर के साथ इससे लगा बिछुआ का क्षेत्र आता है। यहां औसत 700 मिमी बारिश की तुलना में
पांढुर्ना में 641 और सौंसर में 665 मिमी बारिश हो चुकी है। यानि यहां भी पानी इस बार ठीक बरसा है। बिछुआ में जरूर मानसून कुछ गड़बड़ाया है और यहां 527 मिमी बारिश दर्ज हुई है।
पठारी इलाके धीमी गति से बढ़ रहे हैं। इन इलाकों में छिंदवाड़ा, मोहखेड़ और चौरई आता है। चौरई व चांद का इलाका इस बार भी सबसे पीछे है। चौरई में 545 तो चांद में 504 मिमी के आसपास बारिश हुई है जो जिले में सबसे कम है। छिंदवाड़ा में वर्षा का आंकड़ा 692 मिमी तक आ गया है। पठारी इलाकों में औसत बारिश 1000 मिमी होनी चाहिए। यहां पिछले कुछ सालों में औसत बारिश 800 मिमी से भी कम रही है।