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‘मां संस्कारवान तो ध्रुव जैसे पुत्र लेते हैं जन्म’

locationछिंदवाड़ाPublished: Jan 18, 2019 04:59:18 pm

Submitted by:

sunil lakhera

ध्रुव चरित्र की कथा

'Mother sansvarvaan, so do son like Dhruv birth'

‘मां संस्कारवान तो ध्रुव जैसे पुत्र लेते हैं जन्म’

छिंदवाड़ा. प्रियदर्शिनी कॉलोनी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन पं डॉ. नरेंद्र तिवारी ने ध्रुव चरित्र, जड़ भरत और अजामिल प्रसंग सुनाया। ध्रुव चरित्र की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति का सबसे बड़ा धन उसके अच्छे संस्कार हैं जो उसे माता के गर्भ में प्राप्त होते हैं। धन से संस्कारों को नहीं खरीदा जा सकता। अच्छे संस्कार हो तो धन और धर्म दोनों अपने आप ही प्राप्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में सब राम और ध्रुव जैसी संताने चाहते हैं। हम बच्चों का लालन पालन करते हैं, उन्हें कोई कमी नहीं होने देते, उन्हें हर सुख सुविधा देते हैं, लेकिन संस्कार नहीं दे पाते।
पं तिवारी ने मातृशक्ति से आह्वान किया कि जिस दिन जन्मदात्री माताएं सुनीती और कौशल्या बन जाएंगी उस दिन उनके यहां ध्रुव और राम जैसी संताने ही जन्म लेंगी। माता सुनीति ने अपने पांच वर्ष के बेटे ध्रुव को पिता नहीं जगत पिता की गोद में बिठा दिया था। कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पधारे। शुक्रवार को प्रहलाद चरित्र, वामन अवतार, समुद्र मंथन की कथा के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
धरमटेकड़ी में पं. रविकांत शास्त्री की भावगत कथा- भागवतभागवत कथा संसार के इस भवबंधन और भवसागर के पार कराने वाली है। इसे भक्तिभाव से जिसने भी सुना वह मोक्ष को प्राप्त हो गया। यह बात वृंदावन से आए पं. रविकांत शास्त्री ने कही। सिद्धिविनायक वार्ड धरमटेकड़ी में गुरुवार से भागवत कथा की शुरुआत करते हुए उन्होंने यह बात कही। बुधवार को कलश यात्रा के बाद गुरुवार से कथा प्रारंभ की गई। पं. शास्त्री ने भागवत का माहत्म्य बताते हुए कहा कि महर्षि वेद व्यास ने कई पुराणों और महाभारत की रचना की, लेकिन उनके मन को संतुष्टि तो भागवत कथा के लिखने के बाद ही हो पाई। उन्होंने कहा कि भावगत कथा तो देवताओं से भी दुर्लभ है इसलिए जहां कहीं भी इसका आयोजन हो व्यक्ति को इसे श्रवण अवश्य करना चाहिए। उन्होंने आत्मदेव प्रसंग और महाभारत के प्रसंगों की भी सुंदर व्याख्या की। संगीतयम कथा २३ जनवरी तक चलेगी। २४ जनवरी को हवन-पूजन और पूर्णाहुति होगी।
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