मुझे कभी लगा नहीं कीपापा होते तो अच्छा होता
बीमारी की वजह से परतला निवासी नैनसी धकाते के पिता का देहांत वर्ष 2014 में हो गया। उस समय नैनसी 12 वर्ष की थी और उनकी बड़ी बहन तृप्ती 15 वर्ष की। घर में केवल मां थी। परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन्ही के कंधे पर आ गई। नैनसी कहती हैं कि विपरित परिस्थिति में भी मेरी मां ने हार नहीं मानी। वह खुद भी जॉब करती थी इसलिए हमें आर्थिक स्थिति से जूझना नहीं पड़ा। लेकिन पति के जाने का गम बहुत बड़ा होता है इसका एहसास उन्होंने हमें नहीं होने दिया। दो बेटियों को पालने की जिम्मेदारी मां ने बखुबी निभाई है। इसी वजह से मुझे आज तक कभी लगा ही नहीं कि पापा होते तो अच्छा होता। मम्मी ने कभी एहसास नहीं होने दिया कि पापा मेरे नहीं हैं। आज मेरी बड़ी बहन इंदौर में आर्किटेक्ट है। मैं भी अच्छे से पढ़ाई कर रही हूं। मैं चाहती हूं कि भविष्य में मैं कुछ ऐसा करूं कि मम्मी प्राउड फील करे। मेरी मां सबसे अच्छी मां है।
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हर गम छुपाकर हमें खुश रखती है मां
पातालेश्वर मंदिर निवासी लीसा लारोकर के पिता का देहांत कोरोना की दूसरी लहर में हो गया। लीसा कहती हैं कि पापा के जाने से हमारे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था, लेकिन मां ने हिम्मत कर सबकुछ संभाला। मां हर गम को भूलकर हम भाई-बहनों के चहरे पर हमेशा खुशी लाने का प्रयास करती है। मां कभी कहती नहीं है, लेकिन वह हम बच्चों के भविष्य के लिए बहुत चिंतित रहती है। हर समस्या का डटकर सामना कर हमारे भविष्य को गढ़ रही है। लीसा कहती हैं कि हम चार भाई, बहन हैं। मेरी बड़ी बहन जॉब कर पूरा परिवार चला रही है और मां हम सभी को संभाल रही है। लीसा डॉक्टर बनना चाहती हैं। लीसा की चाहत है कि वह मां को हर खुशी दे।
हर गम छुपाकर हमें खुश रखती है मां
पातालेश्वर मंदिर निवासी लीसा लारोकर के पिता का देहांत कोरोना की दूसरी लहर में हो गया। लीसा कहती हैं कि पापा के जाने से हमारे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था, लेकिन मां ने हिम्मत कर सबकुछ संभाला। मां हर गम को भूलकर हम भाई-बहनों के चहरे पर हमेशा खुशी लाने का प्रयास करती है। मां कभी कहती नहीं है, लेकिन वह हम बच्चों के भविष्य के लिए बहुत चिंतित रहती है। हर समस्या का डटकर सामना कर हमारे भविष्य को गढ़ रही है। लीसा कहती हैं कि हम चार भाई, बहन हैं। मेरी बड़ी बहन जॉब कर पूरा परिवार चला रही है और मां हम सभी को संभाल रही है। लीसा डॉक्टर बनना चाहती हैं। लीसा की चाहत है कि वह मां को हर खुशी दे।
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मरे लिए मां मतलब पूरा संसार है
गणेश कॉलोनी निवासी पलक गौतम के पिता का लीवर कैंसर की वजह से दो वर्ष पहले देहांत हो गया। पलक पांच भाई बहन हैं। पलक कहती हैं कि पापा के जाने से पूरा परिवार टूट गया था, लेकिन मां ने खुद को संभाला और हम बच्चों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह अपनी दुखों को भूलकर हमें आगे बढऩे के लिए हमेशा प्रेरित करती है। पलक कहती हैं कि मुझे लगता है कि मां मतलब पूरा संसार। मां के लिए हर दिन उत्सव होना चाहिए। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता है। मैं सभी से कहूंगी वह अपनी मां का दिल कभी न दुखाएं।
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मरे लिए मां मतलब पूरा संसार है
गणेश कॉलोनी निवासी पलक गौतम के पिता का लीवर कैंसर की वजह से दो वर्ष पहले देहांत हो गया। पलक पांच भाई बहन हैं। पलक कहती हैं कि पापा के जाने से पूरा परिवार टूट गया था, लेकिन मां ने खुद को संभाला और हम बच्चों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह अपनी दुखों को भूलकर हमें आगे बढऩे के लिए हमेशा प्रेरित करती है। पलक कहती हैं कि मुझे लगता है कि मां मतलब पूरा संसार। मां के लिए हर दिन उत्सव होना चाहिए। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता है। मैं सभी से कहूंगी वह अपनी मां का दिल कभी न दुखाएं।
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