जावेद खान, वाहन चालक
दमुआ से हर दिन पढऩे के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना होता है। कॉलेज प्रशासन दूर-दराज से आने वाले विद्यार्थियों को न तो बस और न ही छात्रावास उपलब्ध कराता है। परासिया के खिरासाडोह में स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेज में कैंटीन सुविधा भी नहीं है, जबकि वह शहर से काफी दूर है।
साहिल अंसारी , छात्र
बढ़ती महंगाई ने जीना दूभर कर दिया है। हर बार चुनाव के समय नेता बड़े-बडे़ वादे करते हंै, लेकिन उसे पूरा करने में पांच साल भी कम पड़ जाते हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिलने से हर दिन छिंदवाड़ा आना -जाना पड़ता है।
जलस्तर काफी नीचे है। कई सरकारें आई-गईं, लेकिन किसी ने क्षेत्र में पेयजल की समस्या दूर नहीं की। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हंै, लेकिन शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिला। कई बार आवेदन भी किया पर जटिल तंत्र से लाभ नहीं मिल सका है।
दुर्गाप्रसाद, नौकरीपेशा
सरकार जनता के लिए योजनाएं तो बनाती है, लेकिन उचित क्रियान्वयन नहीं होने से बिचौलिए लाभ उठा लेते हैं और जरूरतमंद भटकते रहते हंै। सरकार को रोजगार के आयाम सृजित करना चाहिए तथा क्षेत्र के आधार पर उद्योग स्थापित करना चाहिए।
जितेंद्र राय, छात्र
महंगाई के आधार पर गरीबों की पेंशन और मजदूरी में वृद्धि नहीं की जाती है। बेरोजगारी की समस्या से क्षेत्र के युवा परेशान हंै। बंद होती खदानों के बाद सरकार ने रोजगार के नए विकल्प तैयार नहीं किए हैं। हर बार लोग ठगी का शिकार बनते हैं।
नंदा झरबड़े
प्रदेश में शिक्षा का स्तर काफी निम्न है। आज भी कई स्कूल एेसे हैं जहां कई बच्चों पर एक शिक्षक है या एक भी नहीं है। तकनीकी शिक्षा तथा मौलिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार को योजनाएं बनाना चाहिए।
अजय राय