सिनोद बंशकार बोले, इलाज के लिए आयुर्वेद औषधालय हैं, लेकिन इसमें सभी रोगों का इलाज नहीं हो पाता। इलाज कराने लिंगा या छिंदवाड़ा जाना पड़ता है। उप स्वास्थ्य केंद्र में भी सुविधाएं नहीं हैं। दो साल पहले तक यहां प्रसव की सुविधा थी, लेकिन अब नहीं है। डिलेवरी कक्ष में ताला डला रहता है। दोपहर का वक्त है। मुख्य बाजार में पानी की सप्लाई हो रही है। सडक़ के दोनों किनारों पर दर्जनों मोटर लगाकर लोग पानी खींच रहे हैं। वे बोले, प्रेशर इतना कम है कि टंकी नहीं भर पाती। मोटर से खींचकर सप्ताहभर के लिए पानी स्टोर कर लेते हैं।
एक पान की दुकान पर दर्जनभर लोग चर्चा में मशगूल हैं। दिलीप चरपे, संजय मालवीय और साबिर मंसूरी की पीड़ा जुबां पर आ गई। सडक़ का निर्माण हुआ, लेकिन नाली नहीं बनी। अब घरों का गंदा पानी सडक़ और मुख्य बाजार में बह रहा है। सफाई के इंतजाम भी नहीं हैं। सप्ताह में एक दिन एक सफाईकर्मी आता है। बाकी समय कचरा चारों तरफ फैला रहता है। दिलीप बोले, गांव के चारों तरफमाचागोरा बांध की नहर बन रही है, लेकिन बीसापुरकलां को छोड़ दिया गया है, जबकि सबसे ज्यादा पानी की समस्या यहीं है। नहर को बीसापुरकलां तक लाना चाहिए। पानी के लिए डैम भी बनाना चाहिए।
परिसीमन ने बढ़ाई दूरी
बीसापुरकलां सौंसर विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां भाजपा से नानाभाऊ मोहोड़ विधायक हैं। परिसीमन से पहले बीसापुरकलां छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में था, लेकिन परिसीमन ने छिंदवाड़ा के पास होने के बावजूद बीसापुरकलां को दूर कर दिया। छिंदवाड़ा से बीसापुरकलां 15 किलोमीटर, जबकि सौंसर विधानसभा मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर है। बीसापुरकलां गांव छिंदवाड़ा लोकसभा में आता है।